हिन्दू पंचांग के भादों मास की कृष्णपक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी (Goga Navami) मनाई जाती है। इसे गुग्गा नौमि (Gugga Naumi) भी कहा जाता है। इस दिन राजस्थान के लोक देवता जाहरवीर गोगा जी की पूजा की जाती है। विधि-विधान से गोगा नवमी की पूजा करने से साधक को सुख-समृद्धि, सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जानियें गोगा नवमी कब है? इसके साथ ही पढ़ियें गोगा नवमी की पूजा कैसे करें?, इसका महत्व और गोगा नवमी की कथा (Goga Navami Ki kahani)…
Goga Navami / Gugga Naumi
गोगा नवमी / गुग्गा नवमी
भाद्रपद (भादों) मास की कृष्णपक्ष की नवमी को गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता हैं। इसको गुग्गा नवमी (गुग्गा नौमि) भी कहा जाता है। गोगा नवमी पर जाहरवीर गोगा जी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। लोक मान्यता के अनुसार गोगा जी की पूजा करने से सांपों का भय नही रहता, गोगा जी सर्पदंश से आपके जीवन की रक्षा करते हैं। जाहरवीर गोगा जी राजस्थान के लोक देवता माने जाते है, साथ ही सांपों का देवता मानकर उनकी पूजा की जाती हैं। श्रावणी पूर्णिमा से गोगा नवमी तक, पूरे नौ दिनों तक गोगा जी पूजा-अर्चना की जाती हैं।
जाहरवीर गोगा जी के भक्त गोगा नवमी का त्यौहार पूर्ण श्रद्धा और प्रेम से मनाते हैं। गोगा नवमी पर घरों में गोगा जी की पूजा की जाती हैं, यज्ञ वेदी बनाकर हवन किया जाता हैं और भोग में गोगा जी को खीर-मालपुआ चढ़ाया जाता हैं। उनकी कथायें कही एवं सुनी जाती हैं। गोगामेड़ी पर मेला भरता हैं।
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Goga Navami (Gugga Naumi) Kab Hai?
गोगा नवमी (गुग्गा नवमी) कब हैं?
इस वर्ष गोगा नवमी 27 अगस्त, 2024 मंगलवार के दिन मनायी जायेगी।
Goga Navami Ka Pujan Kaise Kare?
गोगा नवमी का पूजन कैसे करें?
अलग- अलग स्थानों पर गोगा जी की पूजा अलग-अलग विधि से की जाती हैं। उनकी पूजा की दो विधियाँ बहुत प्रचलित हैं।
प्रथम विधि
1. गोगा नवमी के दिन प्रात:काल शीघ्र उठकर दैनिक नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर गोगा जी के भोग के लिये खीर, मालपुये या गुलगुले, चूरमा, इत्यादि बनायें।
2. घर की स्त्रियाँ मिट्टी से घोड़े पर बैठे जाहरवीर गोगा जी मूर्ति बनाये, यदि यह सम्भव नही हो तो पूजा के लिये बनी-बनाई मूर्ति लायें।
3. मूर्ति को पूजास्थान पर रखें। वहाँ दीपक जलाकर, मूर्ति पर जल और कच्चे दूध के छींटे मारे। रोली- चावल से मूर्ति पर तिलक करें।
4. हवन की वेदी बनाकर उसमें हवन करें।
5. फिर उसके बाद खीर और मालपुयें का भोग अर्पित करें।
6. भीगी हुई दाल गोगा जी के घोड़े के आगे रखें।
7. पूजन के बाद गोगा जी की कहानी कहें या सुने। कहानी सुनने के बाद गोगा जी के भजन गायें।
8. गोगा जी का एक प्रिय भजन इस प्रकार हैं –
भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,
गोगा पीर दिल के अंदर, थारी मैडी पे मैं आया,
मुझ दुखिया को तू अपना ले, ओ नीला घोड़े आळे।
मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,
वो बाछला मां का लाला वो है, नीला घोड़े वाला,
दुखियों का सहारा गोगा पीर।
9. कुछ स्थानों पर ऐसा प्रचलन है, कि बहनें अपने भाई को रक्षाबंधन पर जो राखी (रक्षासूत्र) बाँधती है, वो इस दिन गोगा जी को चढ़ायी जाती हैं।
द्वितीय विधि
- गोगा नवमी के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर गोगा जी के भोग के लिये मीठी रोटी बनायें। रोटी थोड़ी मोटी बनायें। रोटी के अलावा खीर बनायें। यही वस्तुएँ अपने परिवार के खाने के लिये भी बनायें।
- रोटी पर घी, बूरा रखें और साथ ही एक कटोरी में खीर रखें।
- फिर रसोई की दीवार पर गोगा जी का चित्र बनायें।
- उसके सामने घी का दीपक जलायें।
- एक लोटे में जल रखें।
- गोगा जी के चित्र पर जल से छींटे लगाये, फिर उनका रोली-चावल से तिलक करें।
- उसके बाद अपने माथे पर भी तिलक करें।
- थाली में रोटी, घी, बूरा और खीर की कटोरी रखकर भोग लगायें।
- तत्पश्चात गेँहू के दाने हाथ मेंं लेकर कहानी सुने और उसके बाद गोगा जी के सामने धोक लगाकर उनसे प्रार्थना करें। “हे गोगाजी महाराज, मुझ पर और मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनायें रखना। हमारी गलतियों को क्षमा करना। हमारे परिवार में सुख-समृद्धि आये ऐसी कृपा करना।”
- फिर भोग की थाली का सामान किसी साधू या कुम्हार को दे दें और लौटे के जल को पौधों में चढ़ा दें।
- उसके बाद घर के लोग भी मीठी रोटी और खीर का भोजन करें।
Significance of Goga Navami
गोगा नवमी का महत्व
ऐसी मान्यता है की जाहरवीर गोगा जी की पूजा करने से जातक का जीवन सर्पदंश से सुरक्षित हो जाता हैं। गोगा जी कि कृपा से जातक की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
1. संतानहीन को संतान की प्राप्ति होती हैं।
2. बच्चों वाली महिलाओं के बच्चे दीर्धायु होते है, गोगाजी उनके बालकों के जीवन की रक्षा करते हैं।
3. सौभाग्यवती स्त्रियों को अखण्ड़ सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
4. घर परिवार में सुख-समृद्धि आती हैं।
विशेष – ऐसी लोक मान्यता है कि यदि किसी के घर में सर्प आ जायें, तो उसे गोगा जी की तस्वीर या मूर्ति पर कच्चे दूध के छींटें लगा देने चाहिये। इससे सर्प बिना किसी को कोई नुकसान पहुँचाये चला जायेगा।
Goga Navami Ki Kahani
गोगा नवमी की कहानी
गोगा नवमी की यह कहानी बहुत ही प्रचलित है। लोक कथा के अनुसार जाहरवीर गोगा जी के विवाह के लिये राजा मालप की पुत्री सुरियल को पसंद किया गया था। परंतु राजा मालप ने अपनी बेटी का विवाह गोगाजी से करने से मना कर दिया।
यह बात जानकर गोगा जी को बहुत दुख हुआ। तब गोगा जी ने यह बात अपने गुरू बाबा गोरक्षनाथ (गोरखनाथ) को कह सुनायी। गोगा जी बाबा गोरखनाथ के प्रिय शिष्य थे, उनके दुख के निवारण के लिये गुरू गोरखनाथ ने वासुकी नाग का आह्वाहन किया और उससे कहा की वो जाकर राजा मालप की पुत्री सुरियल को ड़स ले। वासुकी ने वैसा ही किया।
वासुकी नाग के विष की काट राजा मालप के वैध के पास नही थी। इसीलिये वहाँ का कोई वैध उस विष के प्रभाव को काट नही सका। अपने पुत्री के जीवन पर संकट आया देखकर राजा मालप बहुत दुखी हो गयें। तब गुरू गोरखनाथ के कहे अनुसार वासुकी नाग एक साधू का वेष लेकर राजा मालप के पास पहुँचे और उनसे कहा कि मैं तुम्हारी पुत्री का उपचार करके उसके प्राणों की रक्षा कर सकता हूँ, परंतु तुम्हे इसके बदलें मुझे एक वचन देना होगा। राजा मालप ने उनसे पूछा कि आप मेरी पुत्री के जीवन की रक्षा करने के बदलें में क्या चाहते हैं?, आप जो माँगेंगे मैं आपको ना नही करूँगा। तब साधू के वेष में आये वासुकी नाग ने उनसे कहा कि आपको अपनी पुत्री का विवाह राजा जेवरसिंह के पुत्र जाहरवीर गोगाजी से करना होगा। राजा मालप ने अपनी स्वीकृति दे दी।
तब साधू वेष धारी वासुकी नाग ने उन्हे गुग्गल मंत्र का जाप करने के लिये कहा। गुग्गल मंत्र के जाप के प्रभाव से राजकुमारी का स्वास्थ्य ठीक होने लगा और उस पर से विष का प्रभाव समाप्त हो गया। तब राजा मालप ने अपने वचन का पालन करते हुये, अपनी पुत्री सुरियल का विवाह गोगाजी से कर दिया।