पद्मनाभ द्वादशी (Padmanabha Dwadashi) पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप (Padmanabha) की आराधना की जाती है। इस दिन नया व्यवसाय करना बहुत शुभ रहता हैं। जानियें पद्मनाभ द्वादशी कब है? और इसके साथ ही पढ़ियें पद्मनाभ द्वादशी का महत्व (Significance Of Padmanabha Dwadashi) और पद्मनाभ द्वादशी के व्रत एवं पूजन की विधि (Padmanabha Dwadashi Worship Method)…
Padmanabha Dwadashi
पद्मनाभ द्वादशी
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन पद्मनाभ द्वादशी का व्रत (Padmanabha Dwadashi Vrat) एवं पूजन किया जाता हैं। हिंदु मान्यता के अनुसार पद्मनाभ द्वादशी के दिन भगवान पद्मनाभ जाग्रत अवस्था में आने के लिये अंगड़ाई लेते हैं और पद्मम पर आसीन ब्रह्मा जी “ॐकार” की ध्वनि करते हैं। पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।
Padmanabha Dwadashi Kab Hai?
पद्मनाभ द्वादशी कब हैं?
इस वर्ष पद्मनाभ द्वादशी (Padmanabha Dwadashi) का व्रत एवं पूजन 14 अक्टूबर, 2024 सोमवार के दिन किया जायेगा।
Padmanabha Dwadashi Ka Mahatva
पद्मनाभ द्वादशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार पद्मनाभ द्वादशी (Padmanabha Dwadashi) पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की यथाविधि पूजन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती हैं। पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन करने से
- माँ लक्ष्मी की कृपा से अपार धन की प्राप्ति होती हैं।
- यश और बल में वृद्धि होती हैं।
- मनोकामना सिद्ध होती हैं।
- सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
- समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
- जातक को आध्यात्मिक शांति और उन्नति प्राप्त होती हैं।
हिंदु मान्यता के अनुसार पापांकुशा एकादशी और पद्मनाभ द्वादशी का व्रत करने एवं भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप के पूजन करने से जातक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता हैं।
Padmanabha Dwadashi Par Shuru Kare Naya Kaam
पद्मनाभ द्वादशी पर नया कार्य आरम्भ करना शुभ रहता हैं
हिंदु मान्यता के अनुसार पद्मनाभ द्वादशी (Padmanabha Dwadashi) को अत्यधिक शुभ माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी को यदि कोई नया कार्य (जैसे नया व्यवसाय आदि) आरम्भ करना हो तो, उसके लिये पद्मनाभ द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ रहता हैं। जो भी कार्य इस दिन आरम्भ किया जाता है, उसका परिणाम उम्मीद से कही अधिक अच्छा होता हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन यात्रा प्रारम्भ करना भी शुभफल दायक रहता हैं।
Padmanabha Dwadashi Ke Vrat Aur Puja Ki Vidhi
पद्मनाभ द्वादशी के व्रत एवं पूजन की विधि
पद्मनाभ द्वादशी (Padmanabha Dwadashi) के दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप (Padmanabha Swaroop) की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान हैं। इस स्वरूप में भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुये हैं, इसलिये पूजन के लिये वही प्रतिमा लें जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हों।
- पद्मनाभ द्वादशी के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजास्थान पर एक मण्ड़प तैयार करें और उसमें चौकी लगाकर उस पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की मूर्ति स्थापित करें।
- फिर जल हाथ में लेकर पद्मनाभ द्वादशी के व्रत का संकल्प करें।
- तत्पश्चात् एक घट स्थापित करके उसमें दूध भरें और फिर भगवान पद्मनाभ (विष्णु) की प्रतिमा को उसमें लिटा दें।
- भगवान पद्मनाभ को दूध से स्नान कराकर उनपर चन्दन का लेप करें।
- धूप-दीप जलाकर भगवान पद्मनाभ की यथाविधि पूजन करें। उन्हे फल-फूल अर्पित करें।
- भगवान को भोग (नैवेद्य) अर्पित करें। भोग में गुड़ अवश्य रखें क्योकि भगवान पद्मनाभ को गुड़ अतिप्रिय हैं।
- भगवान पद्मनाभ की पूजन के साथ केले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। उसके बाद आरती करें।
- ब्राह्मण को भोजन करायें और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर उन्हे संतुष्ट करें।
- संध्या के समय भगवान के समक्ष दीपक जलाकर आरती करने के पश्चात ही भोजन करें। इस दिन एक ही समय भोजन करें।
विधि-विधान के साथ इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।
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