Kamika Ekadashi 2024: जानियें कब है कामिका एकादशी? पढ़ें एकादशी व्रतकथा और माहात्मय

Kamika Ekadashi

सावन माह की कृष्णपक्ष की एकादशी कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के नाम से प्रसिद्ध है। कामिका एकादशी के व्रत से मनुष्य के पापों का नाश तो होता ही है साथ ही ये उसके मन से नकारात्मकता के भाव के अंधकार को भी नष्ट कर देता है। और मनुष्य के मन को सकारात्मकता के भाव के प्रकाश से प्रकाशित कर देता है। यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। जानिये कामिका एकादशी का व्रत कब और कैसे करें? पढ़ियें व्रत की विधि, माहात्म्य एवं व्रत कथा…

Kamika Ekadashi
कामिका एकादशी

श्रावण माह (सावन माह) की कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) कहते है। अन्य एकादशी की भांति कामिका एकादशी पर भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को उसके समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। सभी एकादशी व्रतों में कामिका एकादशी के व्रत का अपना विशेष महत्व है। इस व्रत के करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते है| इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते है और उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

Kamika Ekadashi Kab Hai?
कामिका एकादशी कब है?

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत इस वर्ष 31 जुलाई, 2024 बुधवार के दिन है।

Benefits of Kamika Ekadashi Vrat
कामिका एकादशी व्रत और पूजन के लाभ

• मनुष्य के बिगड़े काम बन जाते है।

• साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते है।

• साधक को यह व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।

• जातक की मनोकामना पूर्ण होती है।

• साधक को ब्रह्महत्या एवं भ्रूण हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

• इस दिन व्रत और पूजन करने वाले को गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर तीर्थ पर स्नान करने के समान पुण्य मिलता है।

• इस दिन भगवान विष्णु के आराधना करने से सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।

• कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु की पूजन से साधक को पृथ्वी दान करने से या बृहस्पति ग्रह के सिंह राशि में होने पर गोदावरी और गण्ड़की नदी में स्नान करने के समान पुण्य मिलता है।

• इस एकादशी का व्रत व पूजन करने वाले मनुष्य का किसी बुरी योनि में जन्म नही होता। मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Kamika Ekadashi Vrat & Puja Vidhi
कामिका एकादशी व्रत व पूजा विधि

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस उत्तम व्रत की विधि इस प्रकार से है –

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि की रात से ही आरम्भ हो जाता है। दशमी की रात से ही मनुष्य को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

1. कामिका एकादशी के दिन प्रात: काल स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत होकर व्रती को व्रत का संकल्प लेना चाहिये।

2. संकल्प लेने के बाद कलश की स्थापना करके उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें। फिर उसकी पूजा करें।

3. भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाकर नेवैद्य अर्पित करें। फूल अर्पित करें, और धूप, दीप से आरती करें। यदि आप स्वंय ये पूजा नही कर सकते तो किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से भी पूजन करवा सकते हैं।

4. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

5. इसके बाद कामिका एकादशी व्रत का महात्म्य और कथा पढ़े या सुनें।

6. ब्राह्मण को भोजन करवायें और यथाशक्ति दान-दक्षिणा दे कर संतुष्ट करें।

7. इस दिन तीर्थ स्थानों पर स्नान एवं दान-पुण्य करने से मनुष्य को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है|

8. व्रत की रात को जागरण अवश्य करें। इस व्रत के दिन दुर्व्यसनों से दूर रहे और सात्विक जीवन जीयें।

Significance of Kamika Ekadashi
कामिका एकादशी का महत्व (माहात्म्य)

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत महान पुण्य देने वाला है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रहमाजी ने इस व्रत का महात्म्य नारद जी को सुनाया था। नारद जी की जिज्ञासा को शांत करने और उनके द्वारा जन कन्याण के लिये पूछे गये प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा जी ने नारद जी को इस उत्त्म व्रत के विषय में बताया था।

ब्रह्मा जी ने नारद जी को कहा श्रावण माह (सावन माह) की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते है| इस एकादशी का व्रत करने से साधक को वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।

इस एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु के कई नाम है जैसे मधुसूदन, माधव, श्री हरि, आदि। इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से महान पुण्य प्राप्त होता है।

जो भी व्यक्ति इस दिन श्री हरि विष्णु की उपासन करता है उसे गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर तीर्थ पर स्नान करने के समान पुण्य मिलता है। विष्णु भगवान का इस दिन पूजन करने से सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने के समान फल प्राप्त होता है। जो पुण्य पृथ्वी दान करने से या सिंह राशि में बृहस्पति ग्रह के होने पर गोदावरी और गण्ड़की नदी में स्नान करने से मिलता है उससे भी कहीं अधिक पुण्यफल इस व्रत के दिन भगवान विष्णु के पूजन से प्राप्त होता है।
कामिका एकादशी के दिन तीर्थ स्थानों पर स्नान एवं दान-पुण्य करने से मनुष्य को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।

श्रावन मास भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित है। परन्तु जो भक्त श्रावण मास की एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करता है, उनका व्रत और पूजन करता है उससे सूर्यादि सभी देवता, गंधर्व और नाग आदि सबका पूजन हो जाता है।
इस कामिका एकादशी का व्रत करने से साधक से सभी पापों का नाश हो जाता है। जो भी मनुष्य अपने किये पापों से भयभीत हो या उनका प्रायश्चित करना चाहता हो उसे यह व्रत अवश्य करना चाहिये।

ब्रह्मा जी ने नारद को बताया कि कामिका एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति का किसी बुरी योनि में जन्म नही होता।
भगवान विष्णु तुलसी से ही संतुष्ट हो जाते है। जो भी मनुष्य इस एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु को भक्ति और श्रद्धा के साथ तुलसी दल अर्पित करता है, वो इस लोक के समस्त पापों से बच जाता है। वो मनुष्य पाप रहित हो जाता है।
तुलसी पूजन स्वर्ण और चाँदी के दान के समान पुण्यदायी है। ब्रह्मा जी ने नारद जी को कहा कि मं स्वयं तुलसी को हमेशा आदर से नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को पानी देने से मनुष्य के सभी दुखों का नाश होता है। तुलसी के दर्शन करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते है और तुलसी की वंदना करने से मनुष्य के सब पाप धुल जाते है और वो पवित्र हो जाता है।

कामिका एकादशी को रात को दीपक जलाने और जागरण करने से साधक को अपार पुण्यफल मिलता है। जो व्यक्ति इस एकादशी पर मंदिर में दीपक प्रज्वलित करता है उसके स्वर्गवासी पितर (पूर्वज) को सुख मिलता है और उसे स्वयं को सूर्यलोक प्राप्त होता है।

नारदजी से ब्रह्मा जी ने कहा कि इस एकादशी का व्रत करने से जातक ब्रह्महत्या व भ्रूण हत्या जैसे पापों से भी मुक्त हो जाता है। जो भी मनुष्य इस परम पुण्यदायी कामिका एकादशी के व्रत को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भावना से करेगा, इसके महत्म्य को भक्ति के साथ कहेगा या सुनेगा, वो सभी पापों से मुक्त हो कर मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम को चला जाता है।

संक्षेप में कहे तो इस परम पुण्य दायक कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सारे काम निर्विघ्नता से पूर्ण हो जाते है। जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी व्रत की कथा और महात्म्य कहने और सुनने से यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है।

Kamika Ekadashi Vrat Katha
कामिका एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में जानने की इच्छा व्यक्त करी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हे कामिका एकादशी का सम्पूर्ण महात्म्य जो ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा था वो कह सुनाया। फिर श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को कामिका एकादशी की कथा सुनाई और कहा हे राजन! मैं आपसे अब कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) की कथा कहता हूँ, आप ध्यानपूर्वक सुनें।

बहुत समय पहले की बात है एक नगर में एक जमींदार रहता था। वो स्वभाव से क्रोधी और शरीर से बहुत बलिष्ट था। उसके निकट ही एक ब्राह्मण रहता था। उस जमींदार की उस ब्राह्मण से बिल्कुल नही बनती थी। वो अक्सर आपस में झगड़ते रहते थे।

एक दिन उनका आपस का लड़ाई-झगड़ा बहुत बढ़ गया और क्रोध में आकर उस जमींदार ने उस ब्राह्मण की हत्या कर दी। जब उसका क्रोध शांत हुआ तो उसे एहसास हुआ की उससे महापाप हो गया है। ब्राह्मण की हत्या करने से उसे ब्रह्म हत्या का पाप लग गया है। ब्रह्म हत्या के कारण नगर के सभी लोगों ने उसका त्याग कर दिया। नगर का कोई व्यक्ति उससे कोई भी सम्बंध रखने को तैयार नही था।

ब्रह्म हत्या के कारण उसका समस्त यश नष्ट हो गया। उसका मान सम्मान, धन-सम्पत्ति सब नष्ट हो गया। जीवन की बाधाओं और अपराध बोध से उसका जीवन नरक तुल्य हो गया था। सबके त्याग देने के कारण वो अकेला रह गया था।
परेशान होकर वो नगर को छोड़ कर भटकता हुआ जंगल में पहुँच गया। वहाँ उसे एक ऋषि मिले, उस जमींदार ने अपनी सारी कहानी उन्हे सुनाई और उनसे सहायता माँगने लगा। तब ऋषि को उस पर दया आ गयी और उन्होने उसे पापों से मुक्त होने का उपाय बताया। ऋषि ने कहा, हे वत्स ! ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिये तुम्हे परम पुण्यदायिनी कामिका एकादशी का व्रत करना होगा। और फिर ऋषि ने उसे व्रत की सारी विधि बता दी।

उस जमींदार ने ऋषि के कहे अनुसार कामिका एकादशी का व्रत किया तो उसके सभी पाप नष्ट हो गये। और भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा, हे वत्स! अब तुम्हारे सभी पापों का निवारण हो गया है। कामिका एकादशी के व्रत के प्रभाव से तुम अब ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गये हो।

अपने पापों से मुक्त होकर वो जमींदार इस लोक में सुख भोगकर अंत मोक्ष को प्राप्त हुआ।