श्री काल भैरव के 108 नाम के पाठ से होगा सभी तरह के अनिष्ट का निवारण

108 names of Shri Kaal Bhairav; Kaal Bhairav;

काशी का कोतवाल कहा जाता है श्री काल भैरव को। यह भगवान शंकर का ही स्वरूप है। काल भैरव के 108 नामों का जाप करने से समस्त बाधाओं का नाश होता है। पढ़ियें श्री काल भैरव के 108 नाम…

Significance Of Reading 108 Names Of Shri Kaal Bhairav
श्री काल भैरव के 108 नाम पढ़ने के लाभ

शास्त्रों में श्री काल भैरव को भगवान शिव का स्वरूप बताया गया है। भगवान महादेव का काल भैरव स्वरूप बहुत ही वीभत्स, रौद्र, विकराल और भयाक्रांत कर देने वाला है। काल भैरव की उपासना से सभी बिगड़ें काम बन जाते है। नित्य प्रतिदिन काल भैरव के 108 नामों का पाठ करने से

  • सभी प्रकार के अनिष्ठ से रक्षा होती है।
  • कार्य सुगमता से पूर्ण होते है।
  • शत्रु पराजित होते है।
  • साधक भय मुक्त हो जाता है।
  • धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • मनोरथ सिद्ध होता है।
  • यश और बल में वृद्धि होती है।
  • परेशानियों का नाश होता है।

How To Recite 108 Names Of Shri Kaal Bhairav
श्री काल भैरव के 108 नामों का पाठ कैसे करें?

  • प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा स्थान पर आसन पर बैठकर भगवान काल भैरव का ध्यान करके पूर्ण श्रद्धा- भक्ति के साथ काल भैरव के 108 नामों का पाठ करें।
  • इसके पश्चात अपनी त्रुटियों और अपराधों के लिये भगवान से क्षमा माँगें।
  • फिर अपना मनोरथ भगवान काल भैरव से निवेदन करें।

नोट – रविवार के दिन काल भैरव के मन्दिर अवश्य जायें। ऐसा करने से भगवान काल भैरव शीघ्र प्रसन्न होते है।

108 Names Of Shri Kaal Bhairav
श्री काल भैरव के 108 नाम

  1. ॐ ह्रीं भैरवाय नम:
  2. ॐ ह्रीं भूतनाथाय नम:
  3. ॐ ह्रीं भूतात्मने नम:
  4. ॐ ह्रीं भू-भावनाय नम:
  5. ॐ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम:
  6. ॐ ह्रीं क्षेत्रपालाय नम:
  7. ॐ ह्रीं क्षेत्रदाय नम:
  8. ॐ ह्रीं क्षत्रियाय नम:
  9. ॐ ह्रीं विराजे नम:
  10. ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम:
  11. ॐ ह्रीं मांसाशिने नम:
  12. ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम:
  13. ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम:
  14. ॐ ह्रीं रक्तपाय नम:
  15. ॐ ह्रीं पानपाय नम:
  16. ॐ ह्रीं सिद्धाय नम:
  17. ॐ ह्रीं सिद्धिदाय नम:
  18. ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम:
  19. ॐ ह्रीं कंकालाय नम:
  20. ॐ ह्रीं कालशमनाय नम:
  21. ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:
  22. ॐ ह्रीं कवये नम:
  23. ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम:
  24. ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम:
  25. ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम:
  26. ॐ ह्रीं शूलपाणाये नम:
  27. ॐ ह्रीं खड्गपाणाये नम:
  28. ॐ ह्रीं धूम्रलोचनाय नम:
  29. ॐ ह्रीं अभीरवे नम:
  30. ॐ ह्रीं भैरवीनाथाय नम:
  31. ॐ ह्रीं भूतपाय नम:
  32. ॐ ह्रीं योगिनीपतये नम:
  33. ॐ ह्रीं धनदाय नम:
  34. ॐ ह्रीं अधनहारिणे नम:
  35. ॐ ह्रीं धनवते नम:
  36. ॐ ह्रीं प्रतिभागवते नम:
  37. ॐ ह्रीं नागहाराय नम:
  38. ॐ ह्रीं नागकेशाय नम:
  39. ॐ ह्रीं व्योमकेशाय नम:
  40. ॐ ह्रीं कपालभृते नम:
  41. ॐ ह्रीं कालाय नम:
  42. ॐ ह्रीं कपालमालिने नम:
  43. ॐ ह्रीं कमनीयाय नम:
  44. ॐ ह्रीं कलानिधये नम:
  45. ॐ ह्रीं त्रिलोचननाय नम:
  46. ॐ ह्रीं ज्वलन्नेत्राय नम:
  47. ॐ ह्रीं त्रिशिखिने नम:
  48. ॐ ह्रीं त्रिलोकभृते नम:
  49. ॐ ह्रीं त्रिवृत्त-तनयाय नम:
  50. ॐ ह्रीं डिम्भाय नम:
  51. ॐ ह्रीं शांताय नम:
  52. ॐ ह्रीं शांत-जन-प्रियाय नम:
  53. ॐ ह्रीं बटुकाय नम:
  54. ॐ ह्रीं बटुवेषाय नम:
  55. ॐ ह्रीं खट्वांग-वर-धारकाय नम:
  56. ॐ ह्रीं भूताध्यक्ष नम:
  57. ॐ ह्रीं पशुपतये नम:
  58. ॐ ह्रीं भिक्षुकाय नम:
  59. ॐ ह्रीं परिचारकाय नम:
  60. ॐ ह्रीं धूर्ताय नम:
  61. ॐ ह्रीं दिगंबराय नम:
  62. ॐ ह्रीं शौरये नम:
  63. ॐ ह्रीं हरिणाय नम:
  64. ॐ ह्रीं पाण्डुलोचनाय नम:
  65. ॐ ह्रीं प्रशांताय नम:
  66. ॐ ह्रीं शां‍तिदाय नम:
  67. ॐ ह्रीं शुद्धाय नम:
  68. ॐ ह्रीं शंकरप्रिय बांधवाय नम:
  69. ॐ ह्रीं अष्टमूर्तये नम:
  70. ॐ ह्रीं निधिशाय नम:
  71. ॐ ह्रीं ज्ञानचक्षुषे नम:
  72. ॐ ह्रीं तपोमयाय नम:
  73. ॐ ह्रीं अष्टाधाराय नम:
  74. ॐ ह्रीं षडाधाराय नम:
  75. ॐ ह्रीं सर्पयुक्ताय नम:
  76. ॐ ह्रीं शिखिसखाय नम:
  77. ॐ ह्रीं भूधराय नम:
  78. ॐ ह्रीं भूधराधीशाय नम:
  79. ॐ ह्रीं भूपतये नम:
  80. ॐ ह्रीं भूधरात्मजाय नम:
  81. ॐ ह्रीं कपालधारिणे नम:
  82. ॐ ह्रीं मुण्डिने नम:
  83. ॐ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते नम:
  84. ॐ ह्रीं जृम्भणाय नम:
  85. ॐ ह्रीं मोहनाय नम:
  86. ॐ ह्रीं स्तम्भिने नम:
  87. ॐ ह्रीं मारणाय नम:
  88. ॐ ह्रीं क्षोभणाय नम:
  89. ॐ ह्रीं शुद्ध-नीलांजन-प्रख्य-देहाय नम:
  90. ॐ ह्रीं मुंडविभूषणाय नम:
  91. ॐ ह्रीं बलिभुजे नम:
  92. ॐ ह्रीं बलिभुंगनाथाय नम:
  93. ॐ ह्रीं बालाय नम:
  94. ॐ ह्रीं बालपराक्रमाय नम:
  95. ॐ ह्रीं सर्वापत्-तारणाय नम:
  96. ॐ ह्रीं दुर्गाय नम:
  97. ॐ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम:
  98. ॐ ह्रीं कामिने नम:
  99. ॐ ह्रीं कला-निधये नम:
  100. ॐ ह्रीं कांताय नम:
  101. ॐ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम:
  102. ॐ ह्रीं जगद्-रक्षा-कराय नम:
  103. ॐ ह्रीं अनंताय नम:
  104. ॐ ह्रीं माया-मन्त्रौषधी-मयाय नम:
  105. ॐ ह्रीं सर्वसिद्धि प्रदाय नम:
  106. ॐ ह्रीं वैद्याय नम:
  107. ॐ ह्रीं प्रभविष्णवे नम:
  108. ॐ ह्रीं विष्णवे नम :