दादी चालीसा (Dadi Chalisa) रानी सती दादी को समर्पित है। देश के विभिन्न हिस्सों में रानी सती दादी सा के कई मन्दिर है और उनकी पूजा की जाती है। हजारों भक्त झुंझुनू स्थित रानी सती दादी मन्दिर (Rani Sati Dadi Mandir) में दर्शन करने आते है। पढ़ियें दादी चालीसा (Dadi Chalisa) और अपने हर कष्ट से मुक्ति पायें…
पढ़ियें राणी सती चालीसा (Rani Sati Chalisa)…श्री गुरु पद पंकज नमन, दूषित भाव सुधार
Who Is Rani Sati?
रानी सती दादी कौन है?
रानी सती (Rani Sati) को नारायणी देवी और दादी के नाम से भी पुकारा जाता है। इनके विषय में कथा है कि रानी सती अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा का पुनर्जन्म है क्योकि महाभारत काल में उसकी अभिमन्यु के साथ सती होने की इच्छा पूर्ण नही हो पाई थी। इसलिये उन्होने भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से धरती पर नारायणी देवी के रूप में पुन: जन्म लिया। रानी सती का मंदिर राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले में स्थित है।
श्री दादी चालीसा (Dadi Chalisa) का नित्य पाठ करने से साधक परेशानियों और दुखों के बंधन से छूट जाता है। उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।
Shri Dadi Chalisa Lyrics
श्री दादी चालीसा
|| दोहा ||
माँ शक्ति को नमन कर सिर चरनन रज धार ।
महिमा दादी मात की, वरणत हर्ष अपार ।।
दीन हीन अज्ञानी की सुनना करूण पुकार ।
दयाकर नारायणी, करना भव से पार ।।
जय राणी शक्ति सत सागर, जय दादी का नाम उजागर ।
दादी रूप दुर्गा का जाना, धरा नारायणी सुन्दर नामा।
रूप यह माँ का बड़ा सुहाना, ममता का भरपूर खजाना ।
सिंह सवारी यह करती है, भक्तों के सब दुःख हरती है।
दुष्ट दलन त्रिशूल माँ धरे, पल में दुष्टों को संहारे ।
स्वास्तिक भी सोहे माँ कर में, सुख सम्पत्ति करती घर घर में।
सिर पर चूनड़ लगती प्यारी, मांग सिन्दूर टीका छवि न्यारी ।
गले में हार, नाक नथ साजे, हाथ में चूडलो मेहन्दी राचे।
नैनों में काजल माथे बिन्दिया, कर्ण फूल पग पायल बिछिया ।
सोलह श्रृगांर मात को सोहे, जन जन के मन को माँ मोहे ।
युग युग में अवतार माँ घारे, जीत सत्य की करती प्यारे।
शरणागत के करती काज, रखती माँ भक्तों की लाज ।
नमो नमो हे! माँ जग जननी, संकट हरणी मंगल करनी।
नमो नमो है ! माँ नारायणी, मनोकामना पूरण करनी ।
नमो नमो कुल देवी माता, तू ही कुल की भाग्य विधाता ।
नमो नमो है ! मात भवानी, दयाकर मुझ पे नारायणी ।
गुरसामल की बेटी प्यारी, जालीराम की कुल उजियारी।
तनधन की अर्धांगिनी नार, जनमी डोकवा परणी हिसार।
तनधन योद्धा वीर महान, जूझे रण में हुए कुर्बान ।
रण चण्डी बन शत्रु संहारे, राणा जय जय कार पुकारे।
चमकी सत की ज्योति सुजान, पति के संग किया प्रस्थान ।
सुमन वृष्टि भई नभ से अपार धन्य धन्य है ! अग्रवाल नार।
प्रकटी संवत तेरह सौ बावन, मंगसिर कृष्णा नोमी तिथि पावन ।
झुंझनू दादी ज्योति धाम, चमके ज्योति आठो धाम ।
द्वादश शक्ति संग में साजे, पितर देव सब यहाँ बिराजे।
खूब सजे सबके दरबार, सेवा पूजा अपरम्पार ।
भादौ मावस अजब बहार, मंगसिर नोमी भीड़ अपार ।
चूड़ा चूनड़, भेट हजार, जात, जडूलों की भरमार ।
पूजा तन मन धन से करते, सुर नर मुनि सब यहाँ विचरते ।
भक्त पुकारे जय जय कार सच्चा है माँ का दरबार ।
रखने हमेशा सत की टेक, अवतारी माँ रूप अनेक ।
जय अम्बे, नव दुर्गे, काली, जय नारायणी झुन्झुनू वाली ।
जय उमा, लक्ष्मी ब्रह्माणी, जय सोड़ष शक्ति कल्याणी ।
जय उत्तरा, गायत्री, शारदे, जय भय हारिणी, भव से तारदे।
है असंख्य माँ तेरे नाम, सबको कोटि-कोटि परणाम।
संकट कटे, बने सब काम, जो सुमिरे दादी का नाम ।
जय जय जय दादी नारायणी, भूल चूक कर माफ भवानी।
जो यह पाठ पढ़े सत बार, छूटे फंद हो बेड़ा पार ।
पढ़े चालीसा जो चित लाय, मनवांछित इच्छा फल पाय ।
दयाकर श्रीकृष्ण पे मात, रखदे सिर आंचल और हाथ।
नारायणी मंगलमयी, करूणा ममता की खान ।
दयाकर हृदय बसो, तनधनजी संग आन ।।
छवि निहारू आपकी, मन चक्षु देवो मोय ।
काम क्रोध मद लोभ से, मेरी मुक्ति होय ।
बोलो श्री राणी सती दादी की जय, सच्चे दरबार की जय ।
शक्ति दुर्गा प्रकटि कलि में, धर के राणी सती नाम |
यही भवानी, वैष्णवी, काली, उमा, रमा, हजारों नाम ।।
या दादी की पूजा अर्चना, धर्म है कोई पाप नहीं ।
कुल देवी की सेवा पूजा, कर्म है कोई श्राप नही ।।
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