Siddh Kamala Mantra
सिद्ध कमला मंत्र
सिद्ध कमला मंत्र जाप करने से साधक को देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंत्र के द्वारा हवन, तर्पण, मार्जन करने से साधक की धनप्राप्ति और धनसंचय की कामना पूर्ण होती है। सत्ताईस (27) अक्षर के इस सिद्ध कमला मंत्र का प्रभाव अद्भुत है। सिद्ध कमला मंत्र बहुत ही दुर्लभ और चमत्कारिक है। इस मंत्र की साधना से साधक को चमत्कृत कर देने वाला फल प्राप्त होता है।
Benefits of Siddha Kamala Mantra
सिद्ध कमला मंत्र के लाभ
सिद्ध कमला मंत्र का प्रभाव चमत्कारिक है। इस मंत्र का श्रद्धा-भक्ति के साथ अनुकूल मुहूर्त में जप, हवन, मार्जन व तर्पण करने से साधक को देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंत्र के प्रभाव से
- स्थायी लक्ष्मी का आगमन होता है।
- साधक समृद्धशाली और सम्पन्न होता है।
- यशस्वी होता है।
- यश और कीर्ति में वृद्धि होती है। धन में सम्बन्धित समस्त समस्याओं का समाधान होता है। साधक की समस्त इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति होती है
सिद्ध कमला मंत्र का ध्यान, विनियोग, न्यास आदि
विनियोग :- ॐ अस्य श्रीमहालक्ष्मी सप्त विंशाक्षर मंत्रस्य श्री भृगु ऋषिः, निवृद्-गायत्री छन्दः, श्रीमहालक्ष्मी देवता, श्रीं बीजम्, ह्रीं शक्तिः, श्रीमहालक्ष्मी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि न्यास :- श्रीभृगु ऋषये नम: शिरसि, निवृद् गायत्री छन्द से नमः मुखे, श्री महालक्ष्मी देवतायै नमः हृदये, श्रीं बीजाय नमः गुह्ये, ह्रीं शक्त्ये नमः पादयोः, श्रीमहालक्ष्मी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोग नमः अंजलौ।
षडंगन्यास | करन्यास | अंगन्यास |
श्रीं ह्रीं श्रीं कमले श्रीं ह्रीं श्रीं | अंगुष्ठाभ्यां नमः | हृदयाय नमः |
श्रीं ह्रीं श्रीं कमलालये श्रीं ह्रीं श्रीं | तर्जनीभ्यां नमः | शिरसे स्वाहा |
श्रीं ह्रीं श्रीं प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं | मध्यमाभ्यां वषट् | शिखायै वषट् |
श्रीं ह्रीं श्रीं प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं | अनामिकाभ्यां हूं | कवचाय हुं |
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मि श्रीं ह्रीं श्रीं | कनिष्ठिकाभ्यां नमः | नेत्रत्रयाय वौषट् |
श्रीं ह्रीं श्रीं नमः श्रीं ह्रीं श्रीं | करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः | अस्त्राय फट् |
मन्त्र :- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मि नमः ।
ध्यान :- ध्यान करते समय उपरोक्त श्लोक का उच्चारण करना चाहिए।
मानस पूजन
ॐ लं पृथ्वी तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाश तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायु तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ रं अग्नि तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ वं जल तत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ शं सर्व तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमहालक्ष्मी प्रीतये समर्पयामि नमः।