सनातन धर्म में हाथ में मौली बाँधने (Mauli bandhana) की परम्परा बहुत सदियों से चली आ रही है। मौली को कलावा (Kalava) भी कहा जाता है। क्या आप जानते है हाथ में मौली (Moli) क्यों बाँधतें है और इसको बाँधने से क्या लाभ होते है? पढ़ियें मौली (Mouli) क्यों बाँधते है? इसको बाँधने के नियम, विधि और शुभ फल…
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Why Is Kalava Tied On The Hand?
हाथ में कलावा क्यों बाँधा जाता है?
हिन्दू धर्म में हर हवन-पूजन, त्योहार और मांगलिक अवसर पर हाथ पर कलावा (Kalava) बाँधते है। मौली को कलावा (Kalava) भी कहते है। इसके अतिरिक्त इसे रक्षासूत्र (Raksha Sutra), संकल्प सूत्र (Sankalp Sutra) और उप मणिबन्ध (Manibandh) के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्रता और संकल्प का प्रतीक है। लोग कई स्थानों पर मनोकामना पूर्ति के लिये भी धागा बाँधते है। पूजा आरम्भ करने के पश्चात् पण्ड़ित जी यजमान (पूजा करने वाले) के मस्तक पर तिलक और हाथ में मौली बाँधते (Mauli Bandhana) है। सनातन धर्म में यह परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है।
धर्म शास्त्रों के कलावा बाँधने (Kalava Bandhane) से जातक को तीन देवताओं अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों देवियाँ अर्थात लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होता है। साधक को भगवान ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से कीर्ति प्राप्त होती है। भगवान विष्णु उसकी रक्षा करते हैं और उसको बल प्रदान करते है। तथा भगवान शिव की कृपा से दुर्गुणों का विनाश होता हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। माँ दुर्गा के आशीर्वाद से शक्ति और देवी सरस्वती उसे ज्ञान और बुद्धि प्रदान करती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मनुष्य के लिये कलावा बांधना (Kalava Bandhana) लाभप्रद होता है। मौली (Moli) बाँधने से वात, पित एवं कफ का दुषप्रभाव नही होता। स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है। धमनियों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
Mantra to Tie Moli?
मौली बाँधने का मंत्र
धर्मिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से तीन पग भूमि का दान माँगा था। तब उन्होने संकल्प सिद्धि और राजा बली को अमरता प्रदान करते हुये उसके हाथ पर मौली (Moli) अर्थात रक्षा सूत्र (Raksha Sutra) बांधा था।
मौली बांधते (Mauli bandhana) समय इस मन्त्र का उच्चारण करें-
येन बद्धो बली राजा दान येन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वा मनुष ध्नामि रक्षे माचल माचल ।।
Method And Rules Of Tying Mauli
मौली बाँधने के विधि और नियम
- मौली (Mouli) हाथ, गले और कमर पर बाँधी जाती है।
- पुरूषों के दाहिने हाथ में मौली बाँधी जाती है और स्त्रियों के बायें हाथ में।
- कलावा (Kalava) पण्ड़ित जी से या अपनी बहन से बन्धवायें।
- जिस हाथ में मौली बंधवा (Mauli Bandhana) रहे हो उसमें दक्षिणा लेकर मुट्ठी बंद कर लें। दूसरे हाथ को अपने सिर पर रखें। हाथ में मौली के 3, 5 या 7 आटे यानि इतनी बार लपेटा जाता है। कलावा (Kalava) बंधने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा मौली बाँधने वाले को दी जाती है।
- कलावा (Kalava) संकल्प का भी प्रतीक होता है। जिस वस्तु का संकल्प लेकर कलावा बाँधा जाता है उसका उल्लंघन नही किया जा सकता।
- अमावस्या को पुरानी मौली (Moli) उतारकर पीपल पर या बहते हुये जल में प्रवाहित करें और नयी मौली (Mouli) बाँधें। किसी पंडित जी या बहन-बेटी से कलावा (Kalava) बंधवायें।
Benefits Of Tying Kalava
कलावा बाँधने के लाभ
नियमानुसार हाथ में कलावा (Kalava) बाँधने से :
- नवग्रहों की शांति होती है और साधकों को उनकी शुभता प्राप्त होती है।
- जन्मकुण्डली के ग्रह दोष के कारण ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
- कष्टों और परेशानियों से रक्षा होती है।
- धन-समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- बल में वृद्धि होती है।
- यश और कीर्ति बढ़ती है।
- मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है।
- कलावा (Kalava) एक रक्षा सूत्र है जो जातक की बुरी शक्तियों, बुरी आत्माओं, जादू-टोने, मारन-उच्चाटन आदि से सुरक्षित करता है।
नोट: यदि जीवन में कोई बहुत बड़ी विपत्ति हो तो पीपल के वृक्ष की पूजा करके पीपल के पेड़ पर सात चक्कर मौली बाँधकर (Mouli Bandhkar) एक कलश जल चढायें। फिर अपने हाथ जोड़कर अपने कष्ट को दूर करने की प्रार्थान करें। ऐसा करने से बड़ी से बड़ी विपत्ति का निवारण होता है।
Click below to listen the mantra to recite while tying Kalava (Mouli):