श्रावण मास की अमावस्या (Shravan Amavasya) को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष हरियाली अमावस्या सोमवार के दिन होने से यह सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) भी है। इस संयोग के कारण इस वर्ष यह हरियाली अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण है। जानियें हरियाली अमावस्या कब है? और इस दिन क्या करना चाहिये। साथ ही पढ़ें हरियाली अमावस्या महत्व…
Hariyali Amavasya
हरियाली अमावस्या
श्रावण मास (सावन) की अमावस्या हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के नाम से प्रसिद्ध है। इस अमावस्या को बहुत शुभ माना जाता है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस वर्ष संयोग से इसी दिन सोमवती अमावस्या भी है। सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) और हरियाली अमावस्या दोनों एक ही होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन सावन का दूसरा सोमवार (Sawan Ka Somvar) भी है। इस दिन भगवान शिव के अतिरिक्त पितर देव और पीपल की पूजा भी की जाती है।
When is Hariyali Amavasya?
हरियाली अमावस्या कब है?
इस वर्ष हरियाली अमावस्या 4 अगस्त, 2024, रविवार के दिन मनायी जायेगी।
Why is Amavasya of Shravan month called Hariyali Amavasya?
श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या क्यो कहते है?
सावन की हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के नाम से ही प्रतीत होता है कि इसका संबंध वृक्षों और हरियाली से है। हमारे देश में मानसून की बारिश की शुरुआत सावन से होती है। यह दिन वर्षा ऋतु के कारण आई हरियाली के उत्सव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसके तीन बाद हरियाली तीज का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करके उन्हे भरपूर बारिश के लिये मनाया जाता है जिससे भरपूर फसल हो सकें।
वर्षा के कारण सावन माह में हर तरफ हरियाली छा जाती है इसलिए इस दिन को हरियाली अमावस्या और इसके तीन बाद आने वाली तीज को हरियाली तीज (Hariyali Teej) कहा जाता है। विभिन्न मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या के दिन वृक्ष लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जातक की मनोकामना पूर्ण होती है। वृक्ष हमारे लिये बहुत आवश्यक है और यह दिन मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंध को और मजबूत बनाता है।
What to do on Hariyali Amavasya?
हरियाली अमावस्या पर क्या करें?
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन भगवान शिव, पितर देव और पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पीपल की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। पीपल को जल चढ़ाने से पितर प्रसन्न होते है। इसके अतिरिक्त यह भी माना जाता है कि इस दिन मनुष्य को वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिये। पौधे लगाने से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
हरियाली अमावस्या के दिन तीर्थ स्नान, तर्पण, दान, और ध्यान करने से बहुत पुण्य मिलता है, इसलिये इस दिन इनका विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन तर्पण करने से पितृ दोष का निवारण होता है। जिन जातको की जन्मकुण्डली में कालसर्प दोष होता है उनके लिये उससे मुक्ति पाने के लिये यह अमावस्या बहुत ही असरदार मानी जाती है।
Do these easy things on Amavasya
अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपाय
धन-सम्पत्ति और मनोकामना पूर्ति के लिये अमावस्या (Amavasya) के दिन यह आसान से उपाय अवश्य करें-
- आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर अमावस्या के दिन किसी नदी या तालाब में मछलियों को खिलाने से बहुत पुण्य मिलता है। धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
- अमावस्या के दिन तीर्थ स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते है। यह संभव ना हो तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- अमावस्या के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर हनुमान जी उपासना करें। उनके समक्ष चमेली के तेल का दीपक प्रज्वल्लित करें। और उन्हें लड्डू का भोग अर्पित करें। ऐसा करने से जातक के कार्य आसानी से सिद्ध होते है और मनोकामना पूर्ण होती है।
- मंदिर जाकर गरीबों को अन्न-वस्त्र आदि का दान करना बहुत शुभ होता है।
- शनि ग्रह की शुभता पाने के लिये और उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिये इस दिन शनि देव को तेल चढ़ायें। काली उड़द और लोहा के दान करें।
How to worship Hariyali Amavasya?
हरियाली अमावस्या की पूजा कैसे करें?
- हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन प्रात:काल में सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिये। यदि यह संभव ना हो तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूरे घर में गंगा जल के छींटें लगाकर उसे शुद्ध करें।
- शिवालय जाकर ’ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुये भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। अभिषेक के पश्चात् बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि भगवान शिव को समर्पित करें। और उनकी पूजा करें। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते है।
- भगवान को भोग निवेदन करें।
- फिर हाथ जोड़कर भगवान शिव का ध्यान करें।
- ध्यान के पश्चात् शिव जी की आरती करें और भक्तजनों को प्रसाद वितरित करें।
- अमावस्या तिथि पितृदेव को समर्पित है। इस दिन पितरों की शांति के लिये श्राद्ध कर्म, तर्पण या पूजा पाठ करना चाहिये।
Different names of Hariyali Amavasya
हरियाली अमावस्या के विभिन्न नाम
सम्पूर्ण भारत में हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे उत्तर भारत में इसे हरियाली अमावस्या कहते है। महाराष्ट्र में इसे ’गतारी अमावस्या’ के नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश में यह ’चुक्कला अमावस्या’ के नाम से प्रसिद्ध है और उड़ीसा में इसे ’चितलगी अमावस्या’ के नाम से पुकारा जाता है। हर क्षेत्र के लोग इसे अपने- अपने रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार मनाते है।