एक माह में तीन ग्रहण, 2 चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण। कैसा होगा इस कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का प्रभाव? सूतक कब से लगेंगे? ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिये क्या करें? यह ग्रहण किस पर भारी है? ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री होने का क्या प्रभाव रहेगा ? जानने के लिये नीचे पढ़े।
सूर्य ग्रहण कब है?
21 जून 2020, दिन – रविवार, तिथि – आषाढ अमावस्या, नक्षत्र – मृगशिर व आर्द्रा और राशि – मिथुन ।
कितने समय का है ग्रहण काल?
- यह ग्रहण लगभग 5 घंटा 48 मिनट (जयपुर में 3 घंटे 29 मिनट)
- कंकणाकृति सूर्य ग्रहण प्रात: 09:16 बजे पर आरम्भ होगा।
- कंकणाकृति प्रात: 10:19 बजे से आरम्भ होगी।
- सूर्य ग्रहण का मध्य समय दोपहर 12:10 बजे रहेगा।
- कंकणाकृति दोपहर 02:02 बजे पर समाप्त होगी।
- ग्रहण दोपहर 03:04 बजे तक रहेगा
- इस प्रकार ग्रहणकाल तकरीबन 5 घंटे और 48 मिनट का होगा। ग्रहण के मध्य कंकणाकृति तकरीबन 1 घंटे और 17 मिनट तक दिखाई देगी।
- जयपुर (राजस्थान) में ग्रहण प्रात: 10:14 बजे से दिखेगा। सूर्यग्रहण का मध्य प्रात: 11:55 बजे पर होगा। और 01:44 बजे ग्रहण समाप्त होगा। जयपुर में ग्रहण तकरीबन 3 घंटे और 29 मिनट तक रहेगा। यहाँ ग्रहण काल में सूर्य 91% ग्रसित रहेगा।
कब से लगेंगे ग्रहण के सूतक?
सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले 20 जून’2020 को रात्रि 09:15 से ही आरम्भ हो जाएगा।
कहाँ पर दिखेगा ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण भारत के साथ अफ्रीका, कांगो, इथियोपिया,दक्षिण-पूर्वी यूरोप, मध्य-पूर्व एशिया (उत्तरी व पूर्वी रूस को छोड़कर), इंडोनेशिया, चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, इरान, इराक, दक्षिणी चीन, फिलिपिन्स और हिंद व प्रशांत महासागर में दिखाई देगा।
क्या खास है इस ग्रहण में? क्यूँ विशेष है यह सूर्य ग्रहण?
यह ग्रहण इस साल का पहला ग्रहण है और इससे 15 दिन पूर्व एक चंद्र ग्रहण था और इसके 15 दिन बाद फिर से चंद्र ग्रहण होगा। और साल के अंत में दूसरा सूर्य ग्रहण और पड़ेगा।
सर्वप्रथम यह ग्रहण कंकणाकृति है और साथ ही यह ग्रहण रविवार के दिन पड़ रहा है, इससे यह ग्रहण अधिक प्रभावी हो गया है।
इस सूर्यग्रहण के समय गुरु, शनि, शुक्र, बुध, राहु और केतु यह 6 ग्रह वक्री रहेंगे। गुरु और शनि मकर राशि में एक साथ युति कर वक्री होंगे। बुध और शुक्र भी वक्री होकर इनका साथ देंगे। ज्योतिष के अनुसार ऐसे में शुभ संकेत मिलने का सन्योग बनेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इन ग्रहों के वक्री होने से दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी का असर कम होगा और अर्थव्यवस्था में सुधार के योग भी बनेंगे।
साथ ही इस ग्रहण के अशुभ प्रभाव से भी इंकार नही किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्रियों का अनुमान है की इस ग्रहण के परिणाम स्वरूप प्राकृतिक आपदाएं जैसे तूफान और भूकम्प आदि भी आ सकते हैं।
किन पर पड़ेगा ग्रहण का दुष्प्रभाव? और उन्हें क्या करना चाहिये इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए?
जैसा की आपको विदित है ज्योतिष के अनुसार यह सूर्य ग्रहण मृगशिर एवं आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में पड़ रहा है, इसलिये इस राशि और नक्षत्र में जन्में जातकों को विशेष ध्यान रखना चाहिये। यह ग्रहण उनके लिये अशुभ फलदायी है।
इस ग्रहण के दौरान 6 ग्रह वक्री रहेंगे और अन्य परिस्थितियों के कारण यह ग्रहण मिथुन राशि के साथ-साथ वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिये भी अशुभ फलदायी है।
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि वाले जातकों पर इसका अशुभ प्रभाव नही रहेगा।
सूर्य ग्रहण के समय दान और जप का विशेष महत्व है। विशेषकर जिन राशियों के लिये यह ग्रहण अशुभ फलदायी है उन्हे ग्रहण के दौरान अनाज का दान करना चाहिये। साथ ही सूर्य के मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, आदित्य हृदय स्तोत्र एवं सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ करें या श्रवण करें। सूर्य ग्रहण से पूर्व तुलसी के पत्ते तोड़ करे रखलें और ग्रहण के समय उसका सेवन करने से भी ग्रहण का दुष्प्रभाव नही पड़ता।
सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को भी विशेष ध्यान रखना चाहिये। गर्भवती स्त्रियों पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव ना हो इसके लिये उन्हे यह उपाय करने चाहिये।
गर्भवती स्त्रियाँ घर पर रहे और ग्रहण के समय संतान गोपाल मंत्र का जाप करे।
ग्रहण काल में न तो कुछ खायें-पीयें और न ही भोजन पकाये।
गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए।
गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के दौरान कुछ कैंची, चाकू या छुरी आदि फल, सब्जी, कपड़े आदि नही काटने चाहिये और ना ही सिलाई करनी चाहिये।
सूर्य ग्रहण में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिये? ग्रहण में क्या करें और क्या न करें?
• सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से नही देखना चाहिये। यदि ग्रहण को देखना हो तो काला चश्मा लगाकर देंखे।
• सूतक लगने के बाद से कोई शुभ काम न करें। धर्मग्रंथों के अनुसार सूतक काल में मंदिरों के पट बंद कर दिये जाते है। सूतक काल में पूजा और देवी देवताओं की मूर्तियों को नही छूना चाहिये।
• सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य के उपासना के मंत्रों का जप करें। महामृत्युंजय मंत्र, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ या श्रवण करें।
• ग्रहण के समय भोजन न करें और न ही पकायें।
• ग्रहण से पहले कुशा (ड़ाब) घास को भोजन, जल, बर्तन, आदि में डाल दें और ग्रहण काल में उन सब चीजों को स्पर्श न करें।
• ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें।
कैसा होगा इस ग्रहण का प्रभाव?
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इसके शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल प्राप्त होंगे।
इस शुभ फल की उम्मीद की जा रही है कि ग्रहण के समय छ ग्रहों के वक्री होने से इसके प्रभाव से दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी का असर कम होगा और अर्थव्यवस्था में सुधार के योग भी बनेंगे।
ज्योतिष शास्त्रियों का अनुमान है की इस ग्रहण के परिणाम स्वरूप प्राकृतिक आपदाएं जैसे तूफान और भूकम्प आदि भी आ सकते हैं।
वैसे तो ग्रहण एक सामान्य सी खगोलिय घटना है परंतु ज्योतिष शास्त्र में सूर्यग्रहण और चंद्र ग्रहण के प्रभावों पर विस्तार से बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का मनुष्य के जीवन पर बहुत प्रभाव होता है। इसीलिये शास्त्रों में ग्रहण के शुभ-अशुभ प्रभाव के विषय में विस्तृत रूप से लिखा गया है। गहण के अशुभ फल को नष्ट करने या कम करने के उपाय भी बतायें गयें है।