कालसर्प दोष के विषय में आप सब लोगों ने सुना होगा। यह दोष बहुत सी जन्म कुण्ड़लियों में पाया जाता हैंं। कालसर्प दोष कई प्रकार का होता हैंं। जिस जातक की जन्मकुण्ड़ली में यह दोष होता है, उसे जीवन मे बहुत संघर्ष झेलना पड़ता है। मेहनत करने के बाद भी सफलता नही मिलती। भाग्य साथ नही देता। हर कार्य में बाधाएँ आती हैंं। कोई भी कार्य आसानी से पूर्ण नही होता। बार बार असफलता झेल कर जातक निराश हो जाता हैंं।
यदि आपकी जन्मकुण्ड़ली में भी कालसर्प दोष है तो इस दोष के निवारण के लिये यह बहुत ही आसान सा उपाय हैं। आप नागपंचमी के दिन यह उपाय करें। इससे आपको कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिल जायेगी। और आपके कालसर्प दोष का निवारण हो जायेगा।
अपनी श्रद्धा के अनुसार स्वर्ण का या चांदी का या पंचधातु का या तांबे का या अष्ट धातु का बना एक नाग-नागिन का जोड़ा लें। फिर किसी पुराने शिवालय में जाकर धूप-दीप जलाकर भगवान शिव की पूजा करें। मंदिर में ही बैठकर शिव गायत्री मंत्र की कम से कम एक माला (रूद्राक्ष की माला से) करें।
शिव गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात् ।
तत्पश्चात इन नाग मंत्रों का जाप करें। हर मंत्र की एक-एक माला करें।
ॐ अनन्तेशाय विद्महे, महाभुजांगाय धीमहि, तन्नो नाथः प्रचोदयात् ।
ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात् ।
ॐ नवकुलाय विद्महे, विषदंताय धीमहि, तन्नो सर्प प्रचोदयात् ।
इसके बाद आपने जो नाग-नागिन का जोड़ा बनवाया है उसे भगवान शिव को अर्पित कर दें। इससे आपको अवश्य ही लाभ होगा।
शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से साधक का सदैव ही कल्याण होता है। हर व्यक्ति को अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिये। सोमवार के दिन शिव मंदिर में जाकर इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है।
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