ज्योतिष के महान विद्वानों ने अपने शोध और अनुभव के आधार पर रत्न द्वारा रोगोपचार के सुझाव दिये हैं। इसे पढ़कर अवश्य लाभ उठायें।
सदी जुकाम
जिन लोगों को बार-बार सर्दी जुकाम होता रहता है, उन्हें गर्मी के मौसम में मूनस्टोन, मोती, पन्ना और नीलम में से जो भी उपयुक्त हो वो धारण करना चाहिए।
परंतु सर्दी के मौसम में उन्हें लाल मूंगा धारण करना चाहिए।
ज्वर
मस्तिक ज्वर, मलेरिया, टायफाइड, वात ज्वर, ट्यूमेटिक ज्वर, स्कारलेट ज्वर आदि में लाल मूंगा और पीला पुखराज धारण करने से फायदा होता है।
शिशु रोग
शिशु रोग मे बच्चे को चाँदी के ताबीज या लॉकेट में तीन से चार रत्ती का मूनस्टोन धारण कराने से लाभ होता है।
सिरदर्द
सिरदर्द के रोगी को पन्ना व जमुनिया या लाजव्रत व हरा जेड़ पहनने से फायदा होगा।
कर्ण रोग
कान के रोगी को पन्ना तथा हरा जेड रत्न मध्यमा उंगली में तथा नीलम या फिरोजा
अथवा
लाजव्रत कनिष्ठा में धारण करने से कठिन से कठिन कान के रोग में भी फायदा होता है।
नेत्र रोग
आँख के रोग मे रोगी को एन्जा या हरा जेइ, मोती, नीलम या फिरोजा धारण करने से बहुत फायदा होता है।
यकृत रोग
यकृत रोगी को पीताम्बरी नीला चार रत्ती तथा लाल मूंगा चार रत्ती धारण करना चाहिये।
या
पन्ना, पीला पुखराज, नीलम या लाजव्रत धारण करना चाहिये। इससे उसे लाभ होगा।
बवासीर
बादी या खूनी बवासीर के रोगी को सात से आठ रत्ती का लाल मूंगा, पाँच रत्ती का पीला पुखराज धारण करना श्रेष्ठ लाभदायक होता है ।
कण्ठ रोग
गले के रोगी को आठ रत्ती का लाल मूंगा तथा पांच रत्ती का पीला पुखराज धारण करने से लाभ होता है।
पीलिया रोग
पीलिया रोग के रोगी को पाँच रत्ती का पीला पुखराज, छ रत्ती का पन्ना, तीन रत्ती का लाजव्रत धारण करने से बहुत फायदा होता है। रोग अधिक गंभीर हो तो अलग से चार रत्ती का पीताम्बरी भी धारण करना चाहिये।
नपुसंकता
नपुसंकता के निवारण के लिये अनामिका में आठ रत्ती का लाल मूंगा तथा तर्जनी में पाँच रत्ती का पीला पुखराज धारण करे। इससे अवश्य लाभ होगा।
लकवा
यदि किसी को लकवे की शिकायत हो तो उसे सात से आठ रत्ती का लाल मूंगा, अनामिका में चार रत्ती का नीलम, कनिष्ठका में छ रत्ती का पन्ना धारण करना चाहिये। इससे लाभ होता है। पन्ना मध्यमा अंगुली में भी धारण कर सकते है।
वक्ष या फेफड़े का कैंसर
यदि किसी को फेफड़े का कैंसर हो तो उसे लाल मूंगा और साथ में पीताम्बरी नीला, पन्ना धारण करना चाहिये।
या
लाल मूंगा और साथ मे पीताम्बरी नीला, श्वेत मोती धारण करने से फायदा होता है। गंभीर स्थिति में दो से तीन रत्ती का वैदूर्य भी अतिरिक्त रूप में पहनना आवश्यक होता है।
मुख केंसर
मुख के केंसर के रोगी को पन्ना + वैदूर्य + पीला पुखराज धारण करायें।
या
पन्ना + वैदूर्य + लाल मूंगा धारण करायें। ये उनके लिये बहुत लाभ दायक सिद्ध होता है।
ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर के रोगी को छ रत्ती का पन्ना, छ रत्ती का सफेद मोती, चार रत्ती का नीलम या लाजव्रत धारण करायें।
या
पाँच रत्ती का पुखराज, पाँच रत्ती का पन्ना, छ रत्ती का सफेद मोती या मूनस्टोन धारण करायें। इससे रोगी को फायदा होगा।
मोतिया बिन्द
मोतिया बिन्द के रोगी को तीन से चार रत्ती का माणिक्य साथ में पाँच से छ: रत्ती का पन्ना और छ: रत्ती का श्वेत मोती धारण करना लाभदायक होता है। यदि सम्भव हो तो बाये हाथ में आधा रत्ती का हीरा भी धारण करायें। इससे और भी अधिक लाभ होगा।
रतौंधी
रतौंधी के रोग मे रोगी को लाल मूंगा और श्वेत मोती साथ मे धारण करने से लाभ मिलता है।
डायबिटीज
डायबिटीज के रोगी को सात रत्ती का श्वेत मूंगा मध्यमा में तथा पाँच रत्ती का पीला पुखराज
अनामिका में धारण करने से लाभ होता है।
या
चार रत्ती का पीताम्बरी नीला कनिष्ठका में और नौ रत्ती का श्वेत मूंगा मध्यमा में धारण करने से फायदा होता है।
या
एक रत्ती का हीरा मध्यमा में धारण करने से लाभ होता है।
मूत्राशय रोग
मूत्राशय सम्बंधी रोग से पीडित रोगी को आठ रत्ती का लाल मूंगा और पाँच रत्ती का पीला पुखराज या नौं रत्ती का श्वेत मूंगा धारण करने से लाभ होता है।
चेचक
चेचक के रोगी को आठ रत्ती का लाल मूंगा तथा पाँच रत्ती का पीला पुखराज धारण करने से लाभ होता है।
श्वांस रोग
श्वांस रोग के रोगी को लाल मूंगा और पन्ना, नीलम या फिरोजा धारण करना चाहिए
अथवा
छ रत्ती का लाल मूंगा और एक लोहे की अंगूठी धारण करनी चाहिए। इससे श्वांस सम्बंधी रोग दूर होते है।
आँत रोग
ऐसी मान्यता है की आँत का रोग पूर्व जन्म में यज्ञ में बाधा पहुँचाने से होता है। इस के निवारण के लिये विष्णु की स्वर्ण प्रतिमा का दान और नारायण मंत्र का जाप करना चाहिये।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।