यदि आपकी तबियत ठीक नही रहती और बार बार बीमार पड़ जाते है। तो आप इस उपाय को अवश्य करें।
यदि कोई बार बार बीमार पड़ता हो
शुक्लपक्ष के पहले सोमवार के दिन एक सफेद रेशमी वस्त्र में सात अभिमंत्रित गोमती चक्र को पर रख कर सफेद चंदन और रोली से तिलक करें। भगवान मृत्युंजय (शिव जी का रूप) का ध्यान करके उनसे अपने स्वास्थ्य को ठीक करने की प्रार्थना करें। फिर उन सात गोमती चक्र में से चार गोमती चक्र लेकर घर से निकल करे किसी निर्जन स्थान पर जाकर एक चक्र को अपने ऊपर से सात बार उसार कर अपने पीछे की ओर फेंक दें। फिर पीछे देखें बिना वापिस घर आ जायें। बचे हुए तीन गोमती चक्रों को किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिवलिंग पर चढ़ा दें। तत्पश्चान भगवान शिव को नमस्कार करके घर वापिस आ जायें। घर घर पर आकर बाकी बचे तीन गोमती चक्रों को चांदी के तार में बांध कर अपने पलंग के सिरहाने की ओर के दायें पाये पर बांध दें। आप थोड़े से समय में ही आप अपनी तबियत मे सुधार अनुभव करेंगे।
यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से बीमार हो
यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से बीमार हो तो उसे ये उपाय अवश्य करना चाहिये। शुक्लपक्ष के पहले सोमवार को 7 धनकारक कौड़ियां, 11 नागकेशर के जोड़े व 3 अभिमंत्रित गोमती चक्र को सफेद वस्त्र में बांधकर उस पर हारसिंगार का इत्र लगाये। फिर उसे रोगी के ऊपर से सात बार उसार कर शिवमन्दिर में चढ़ा दें। रोगी के स्वास्थ्य मे जल्द ही लाभ देखने को मिलेगा।
यदि आपके घर में कोई रोगी है तो शुक्लपक्ष के पहले गुरूवार को गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी आटे के दो पेड़ो में दबाकर रख दें। फिर उसको रोगी व्यक्ति से ऊपर से 7 बार उसार कर गाय को खिला दें। यह उपाय 3 गुरुवार नियमित रूप से करें। यदि रोग गम्भीर हो तो तीन गुरुवार ये उपाय करने के बाद रुक जायें। और फिर अगले शुक्लपक्ष से पुन: शुरु करें। यह उपाय तब तक करते रहें जब तक रोगी बिल्कुल स्वस्थ न हो जायें।
मिरगी या पागलपन का रोग
मिरगी या पागलपन का रोगी हो तो उसके लिये यह उपाय करें। शुभ मुहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखा कर शुद्ध करें। शुद्ध करने के बाद हल्दी के एक टुकड़े में छेद करके उसमें धागा ड़ाल कर उसे गले में पहना दें। साथ ही नियमित रूप से एक महिने तक हल्दी का चूर्ण कांसे की कटोरी में ताजे पानी के साथ खिलाते रहें। रोगी में शीघ्र सुधार दिखेगा।
घर में रहने वाले लोग स्वस्थ रहे इसके लिये उपाय
ऊँट कटैला राजस्थान में पाया जाने वाला कटीला पौधा है। गुरुपुष्य योग में ऊँट कटैला के पौधे को अपने घर आमंत्रित करे। फिर उसे पीले वस्त्र में बांध कर घर में किसी शुभ स्थान पर रखें। इससे घर में आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। और साथ ही उस घर में रहने वाले लोग स्वस्थ रहते हैं।
सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करें (13 से 15 अप्रैल के मध्य ऐसा होता है) तब गुड़ व मसूर के साथ नीम की कोपलें पीस कर खाने से साल भर तक कोई रोग नहीं होता।
आधे सिर में दर्द
अगर किसी के आधे सिर में अधिक दर्द होता हो तो उसे किसी चौराहे पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके एक गुड के टुकड़े को अपने दांत से काट कर वहीं छोड देना चाहिये। इससे रोगी को तुरंत लाभ मिलता हैं।
नींद न आने का रोग
अगर किसी को नींद न आने का रोग हो तो उसे सोते समय सफेद घुघंची की जड़ को अपने तकिये के नीचे रखना चाहिये। ऐसा करने अच्छी नींद आयेगी।
गुदा रोग हो या खूनी बवासीर
अगर किसी को गुदा रोग हो या खूनी बवासीर हो तो उस रोगी को धतूरे की जड़ को कमर में बांधना चाहिये। इससे रोगी रोग मुक्त हो जायेगा। या गुदा के रोगी को माहेमरीयम नाम का रत्न धारण करना चाहिये। इससे भी रोग मे लाभ होता है।
मिर्गी का रोग
अगर किसी को मिर्गी का रोग हो तो उसे चांदी की अंगुठी में गधे का नाखून जडवा कर पहनना चाहिये। ऐसा करने से रोगी रोगमुक्त हो जाता है।
तिल्ली का रोग
अगर किसी को तिल्ली का रोग हो तो उसे उस समय छोटी-छोटी प्याज की माला धारण करनी चाहिये। इससे रोग में लाभ होता है।
पित्त रोग
अगर किसी को पित्त रोग हो या डकार के साथ पित्त बाहर आता हो तो उसे मूल नक्षत्र में ताड़ की जड़ को लाकर गले में धारण करना चाहिये। इससे रोग का नाश होता है।
अगर किसी के पेट में किसी भी प्रकार का कोई रोग हो या परेशानी हो तो उसे ताम्बे के बर्तन में पानी भरकर उसमें पाँच दाने रुद्राक्ष के डालकर अपने सिरहाने रखकर सोना चहिये। फिर प्रातःकाल उठकर उस पानी को पी लेना चाहिये। इससे पेट के सारे रोग दूर हो जाते हैं। पानी पीकर फिर अगले दिन के लिये उसमें पानी भर कर रख दें।
मूर्च्छा, हिस्टीरिया, मिरगी या चक्कर
मूर्च्छा, हिस्टीरिया, मिरगी या चक्कर आने की बीमारी मे रोगी को दो माशा गोरोचन गुलाब जल में पीस कर दिन में तीन बार पिलायें तो उसे इन बीमारियों से मुक्ति मिल जायेगी। शुक्लपक्ष के पहले रविवार अथवा मंगलवार से इस उपाय का आरम्भ करें।
कोई बहुत ज्यादा बीमार रहता हो तो
अगर कोई बहुत ज्यादा बीमार रहता हो तो उससे सिरहाने 11 सिक्के, पीपल की जड़ व लकडी रख दें। कोई दस मंदिर चुन कर एक-एक सिक्का उन मंदिरों में रख आयें और एक बचा हुआ सिक्का शमशान में फेंक आयें। पीपल की जड़ और लकडी को काले कपड़े में बांध कर रोगी के तकिये के नीचे रख दें।