नाग पंचमी की ये पूजा दिलायेगी आपको हर क्षेत्र में सफलता और आपका सदा ही शुभ होगा।
नाग पंचमी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता हैं। इस दिन अलग-अलग प्रकार से पूजन किये जाने का विधान है। हर पूजन का विशेष महत्व होता और विशेष प्रयोजन होता है। नाग पंचमी पर नाग को भाई मान कर पूजा की जाती हैं, नाग पंचमी पर कालसर्प दोष के निवारण के लिये पूजा की जाती है और अष्ट नागों की यह विशेष पूजा की जाती है जिससे जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।
नाग पंचमी पर यह विशेष पूजन की जाती है, इसमें अष्ट नागों की पूजा की जाती है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार इस विशेष पूजन को करने से साधक को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। उसकी जन्म कुण्ड़ली के विभिन्न दोषों का भी निवारण होता है। इस पूजन के शुभ प्रभाव से साधक को धन की प्राप्ति होती है, पारिवार में सुख-शांति रहती है, शरीर निरोगी होता है, सामाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है, वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और रोजगार में उन्नति होती हैं।
नाग पंचमी के दिन की विशेष पूजन की विधि:
1. नागपंचमी के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि दैनिक नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूजा स्थान पर आसन लगाकर बैठ जाये।
2. पूजा स्थान पर भगवान शंकर की तस्वीर या प्रतिमा रखें और साथ ही सोने, चांदी या तांबे से बनी नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को स्थापित करें।
3. तत्पश्चात भगवान शंकर का ध्यान करें और उसके बाद नाग-नागिन की प्रतिमा के सामने इस नाग मंत्र का पाठ करें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
4. फिर नाग पंचमी के व्रत और पूजा का संकल्प करें।
5. संकल्प करने के बाद पहले दूध से नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को स्नान करवाएं। फिर उसपर जल चढ़ायें।
6. धूप, दीप जलाये और गंध, पुष्प चढ़ाकर पूजन करें। पूजा में सफेद कमल का फूल रखें।
7. दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
8. तत्पश्चात हाथ जोड़कर यह नाग स्तुति करें
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
9. स्तुति के बाद रूद्राक्ष की माला पर इस नाग गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें
ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
10. नाग गायत्री मंत्र के जाप के बाद सर्प सूक्त का पाठ करें।
ऐसी मान्यता है कि कलयुग में इस पूजा को करने से जातक को हर क्षेत्र मे सफलता मिलती है। उसका सदा ही शुभ होता है।
नाग पंचमी के दिन शिवालय में रुद्राभिषेक करवायें। इस दिन अमोघ शिव कवच का पाठ करने से साधक को बहुत शुभ फल प्राप्त होता हैंं।