हरि स्तुति
Hari Stuti
हरि स्तुति (Hari Stuti) का पाठ नित्य करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती हैं। गुरूवार, एकादशी और पूर्णिमा के दिन व्रत और हरि स्तुति का पाठ करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
1. हरि स्तुति का पाठ करने से साधक को कभी धन की कमी नही होती।
2. घर में सुख और समृद्धि का वास होता हैं।
3. सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
4. जीवन की सभी खुशियाँ प्राप्त होती हैं।
हरि स्तुति की विधि
1. प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. तत्पश्चात् पूजास्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सम्मुख पूर्व दिशा की ओर मुहँ करके बैठ जाये।
3. धूप दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
4. भोग लगायें और हरि स्तुति का पाठ करें।
हरि स्तुति
Hari Stuti
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।