हिन्दू मान्यता के अनुसार वाराही देवी सप्त मातृकाओं में से एक हैं। इन्हे देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। जानियें कैसा है वाराही देवी का स्वरूप? साथ ही पढ़ियें वाराही स्तुति (Varahi Stuti) का पाठ कैसे करें? और इस पाठ को करने से क्या फल मिलता है?
Varahi Devi
वाराही देवी
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने जब वराह अवतार धारण किया था तब उनकी पत्नी देवी वाराही थी। देवी वाराही भगवान वराह की शक्ति स्वरूपा है। देवी वाराही के स्वरूप का जो वर्णन ग्रंथों मे किया गया है उसके अनुसार उनका शरीर मानव का है, उसमें सिर जंगली सूअर का है, उनका रंग काले बादल जैसा है, उनकी आठ भुजायें है और तीन नेत्र है। उन्होने सिर पर करंद-मुकुट धारण किया है और वो मूंगे से जड़ित आभूषणों से सुशोभित हैं। एक कथा के अनुसार देवी वाराही ने शुम्भ –निशुम्भ नामक दैत्यों का संहार करने में देवी दुर्गा की सहायता की थी।
How to Chant Varahi Stuti ?
वाराही स्तुति का पाठ कैसे करे?
नीचे लिखित विधि अनुसार वाराही स्तुति का नित्य पाठ करें। यदि नित्य पाठ करना सम्भव ना हो तो सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करें। हर माह की पंचमी तिथि वरही तिथि होती है इसके अतिरिक्त अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथि पर भी देवी की उपासना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। वाराही देवी स्तुति का पाठ इस विधि से करें-
- वाराही देवी स्तुति (Varahi Devi Stuti) का पाठ रात को 10 बजे के बाद या प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में किया जाना चाहिये।
- स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धरण करें। शुद्ध चित्त से पूजास्थान पर देवी वाराही की प्रतिमा या चित्र को समक्ष बैठ कर देवी वाराही का ध्यान करें।
- गाय के घी का दीपक जलायें।
- वाराही देवी की प्रतिमा या तस्वीर जो भी आपके पास है उसकी पूजा करें।
- देवी की प्रतिमा पर हल्दी, कुमकुम और फूल माला चढ़ाएं। देवी को फल अर्पित करें।
- इसके बाद वाराही देवी स्तुति का पाठ भी करें।
- पाठ पूर्ण होने के बाद देवी से अपनी गलतियों के लिये क्षमा माँगें और फिर उनसे अपना मनोरथ कहें।
- पवित्रता का ध्यान रखें। शुद्ध एवं स्पष्ट उच्चारण करें।
Benefits Of Chanting Varahi Stuti
वाराही देवी स्तुति के लाभ
देवी वाराही की कृपा पाने के लिये पूर्ण श्रद्धा – भक्ति और एकाग्रचित्त होकर विधि अनुसार वाराही स्तुति का पाठ करें। इस पाठ को करने से देवी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से साधक को चमत्कारिक शुभफल प्राप्त होते है।
- साधक दुष्ट आत्माओं और शक्तियों से सुरक्षित हो जाता है। यह स्तोत्र उसकी ढ़ाल की तरह रक्षा करता है।
- देवी वाराही के भक्तों पर किसी भी तंत्र-मंत्र और काले जादू इत्यादि का कोई प्रभाव नही होता है। देवी अपने भक्त पर किये हुये हर अभिचारक कृत्य को निष्फल कर देती है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा होती है।
- भय –बाधा समाप्त होती है।
- कार्य बिना किसी रूकावट के सफलता पूर्वक पूर्ण हो जाते है।
- मान – प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- अपार धन – संपत्ति प्राप्त होती है।
Varahi Stuti Lyrics in Hindi
वाराही देवी स्तुति:
ध्यान:
कृष्ण वर्णम तू वरहिम महिषास्तम महोदरिम
वरदम दंडिनिम खड्गम बिब्रतिम दक्षिण करे
खेत पत्र भयन वामे सुकरस्यं भजम्यहं ||
स्तुति:
नमोस्तु देवी वाराही जयकारा स्वरूपिणी
जपित्व भूमिरूपेण नमो भागवतः प्रिये || 1 ||
जयक्रोदस्तु वरही देवीत्वांचा नमम्याहं
जयवरि विश्वेशी मुख्य वराहते नमः || 2 ||
मुख्य वरही वंदेतवं अंधे अंधनीते नमः
सर्व दुष्ट प्रदुष्टानां वाक् स्थंबनकरी नमः || 3 ||
नमः स्तंभिनी स्तम्भेत्वं जृंभे जृंभिनिथे नमः
रंधेरंधिनी वंदेत्वम नमो देवीतु मोहिनी || 4 ||
स्वाभक्तनंही सर्वेशं सर्व काम प्रदे नमः
बाहवा स्तम्भकारी वन्दे चित्त स्तम्भिनते नमः || 5 ||
चक्षु स्तम्भिनी त्वाम मुख्या स्तंबिनिथे नमो नमः
जगत स्तम्भिनी वंदेत्वम जिह्वाव स्तम्भन करिणी || 6 ||
स्थंबनाम कुरु शत्रूणां कुरमे शत्रु नासनाम
सीघ्रम वसयंच कुरते योग्ने वाचात्मके नमः || 7 ||
ट चतुष्टया रूपेत्वं शरणं सर्वदभजे
होमतमेक फट रूपेना जयद्यन केशिवे || 8 ||
देहिमे सकलान कमान वारही जगदीश्वरी
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमोनामा: || 9 ||
अनुग्रह स्तुति:
किम दुष्करम त्वयि मनो विषयम गतायाम
किम दुर्लभम त्वयि विधानव दार्चितायाम
किम दुष्करम त्वयि प्रकृतिश्रुति मागतायाम
किम दुर्जयम त्वयि कृतस्तुति वादा पुंसां