अनन्त स्तवः (Ananta Stava) का पाठ करने से भगवान अनंत प्रसन्न होते है। भगवान अनंत भगवान विष्णु का रूप है। अनन्त स्तवः की रचना सुभद्रा के द्वारा की गई है। इस अति दुर्लभ स्तव: का पाठ करने से साधक को भगवान अनन्त की कृपा प्राप्त होती है। पढ़ियें श्री अनन्त स्तवः और साथ ही जानिये इसके लाभ और माहात्म्य…
Significance Of Ananta Stava
अनन्त स्तवः का माहात्म्य
शास्त्रों के अनुसार भगवान अनंत जगतपालक परब्रह्म भगवान विष्णु का ही रूप है। इस धरती पर अपने भक्तों की सहायता के लिये भगवान अनेक रूप में आते है। भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा के द्वारा रचित अनन्त स्तवः बहुत ही चमत्कारिक स्तोत्र है। इसके दस श्लोकों में भगवान विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख मिलता है। इस अनन्त स्तवः (Ananta Stava) का नित्य पाठ करने से साधक को अनंत स्वरूप भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से साधक अपने जीवन की सभी मुश्किलों से छूट जाता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है। इस कलियुग में बहुत ही थोड़े से प्रयास से ही ईश्वर प्रसन्न हो जाते है।
Benefits Of Reading Anant Stava
श्री अनन्त स्तवः के लाभ
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ही इस सृष्टि के पालनकर्ता है और उनकी उपासना से साधक अपने जन्म को सफल बना सकता है। सुभद्राकृतः अनन्तस्तवः (Ananta Stava) का पाठ बहुत ही शक्तिशाली और शीघ्र फल देने वाला है। इस अति दुर्लभ और प्रभावशाली स्तोत्र का पाठ करने से
- साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मन में संतोष और आनन्द का भाव उत्पन्न होता है।
- पापों से मुक्ति मिलती है।
- भगवान अनंत की सेवा और भक्ति करने से साधक जीवन – मृत्यु के चक्र से छूट जाता है।
- धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- मान-सम्मान और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
- रोग–दोष-कष्ट एवं पाप नष्ट हो जाते है।
- दुख- दरिद्रता का नाश होता है।
- धरती के सुखों का आनन्द लेकर साधक अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।
नोट: अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन अनंत स्तव: का पाठ करने से बहुत ही शुभ परिणाम प्राप्त होते है।
When And How To Recite Anant Stava?
श्री अनन्त स्तवः का पाठ कब और कैसे करें?
अपनी इन्द्रियों को वश में रखकर साधक को भक्ति भावना के साथ अनन्त स्तवः का पाठ करना चाहिये। शरीर और मन के भाव दोनों को शुद्ध रखकर पवित्र भाव से इस स्तोत्र का पाठ करें। प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का ध्यान करें फिर अनन्त स्तवः (Ananta Stava) का पाठ करें।
Ananta Stava Lyrics
अनन्त स्तवः
येनेदं जगदखिलं धृतं विधात्रा
विश्वं यज्जठरगतं युगान्तकाले ।
यो वेदानवति तमेत्य मत्स्यरूपं
तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्थनन्तम् ॥ १॥
यो लोकानसृजदनाद्यनन्तरूपो
विश्वात्मा विगततमोरजोभिरीड्यः ।
घृत्वेमां कमठवपुमेहीं सृजन्तं
तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ २॥
यः पृथ्वीमसुरभयाद्रसातलस्था-
मुद्धर्तुं खुरनिकरक्षतासुरौघः ।
वाराहीं तनुमभजत् त्रयीनिवास-
स्तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ३॥
हैरण्यं कुलिशदृढं पुरा नखाग्रै-
र्वक्षो यः सपदि विदारयाश्चकार ।
रह्लादप्रियहितकृन्नृसिंहरूप-
स्तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ४॥
स्वर्लोकस्थितिकरणाय यो धरित्री
त्रेधा विक्रमितुमयाचतासुरेशम् ।
भूत्वा वामनतनुरीश्वरं सुराणां
तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ५॥
यः क्षत्रं निहितपरश्वधेन सर्वं
छित्वा तत्क्षतजजलेन कर्म पित्र्यम् ।
चक्रे विक्रमविभवैकसम्पदीड्य-
स्तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ६॥
यो लोकत्रयवनवह्निमीश्वराणा-
मीशानो दशवदनं रणे निहन्तुम् ।
रामो दाशरथिरभूदुदारवीर्य-
स्तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ७॥
यः पृथ्वीमसुरभरातिभङ्गुरार्ता-
मुद्धर्तुं मुसलहलायुधो बभूव ।
कालिन्दीकर्षणदर्शितातिवीर्य-
स्तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ८॥
कंसादींस्त्रिदशरिपूनपाचिकीर्षु-
र्यः पृथ्व्यामिह यदुनन्दनो वभूव ।
बालार्कयुतिविकसत्सरोजवक्त्रं
तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ ९॥
पाषण्डान् कलिकलुषीकृत स्वधर्मा-
निश्शेषं सपदि निराकरिष्णुरीशः ।
यः कल्की भवति नितान्तघोररूपं
तं देवं शरणमहं गतोऽस्म्यनन्तम् ॥ १०॥
। इति सुभद्राकृतः अनन्तस्तवः सम्पूर्णः ।