श्री राणी सती जी अष्टकम् (Rani Sati Ashtakam) रानी सती दादी को समर्पित है। रानी सती दादी सा के कई मन्दिर देश के विभिन्न हिस्सों में है और वहाँ पर उनकी पूजा की जाती है। झुंझुनू स्थित रानी सती दादी मन्दिर में (Rani Sati Mandir) हजारों भक्त में दर्शन करने आते है। पढ़ियें श्री राणी सती जी अष्टकम् (Rani Sati Ashtakam) और पाइयें राणी सती का आशीर्वाद…
पढ़ियें दादी चालीसा (Dadi Chalisa) और अपने हर कष्ट से मुक्ति पायें…
Shri Rani Sati Ashtakam Lyrics
श्री राणी सती जी अष्टकम्
।। मतगयंद छनद | |
बाल समय सखि सँग रही, मन मांहि उमंग सों नेह निहारो ।
स्नेहलता घर मात पिता, धन भाग घड़ी मन मांहि बिचारो।
बोलत अमृत बानि सुबानियों, जान गई जग तेज उजारो ।
को नहिं जानत है जग में, श्री राणी सतीजी नाम तिहारो ।।
संग पति घर आय रही सती, राह में जंग हुयो अति भारी ।
तनधन दास लड़े बहु भाँति सू, वीर गति रण माँय जुझारो ।
लखि तेज कूं शत्रु सैन्य भजि, पति संग जरी सती रूप निहारो ।
को नहिं जानत है जग में, श्री राणी सतीजी नाम तिहारो ।।
देवांग्नाएं ले विमान खड़ी, मुस्कान सहित चित चाव निहारो ।
कर हार सुमन डिग आन सती, अति प्रेम सों माल गले बिच डारो ।
झुन्झनू देश लुभाय गई, दरसन कर राणा ने जन्म सुधारो ।
को नहिं जानत है जग में, श्री राणी सतीजी नाम तिहारो ।।
भक्तन के नित काज सारे, हित से चित से मन भोति उभारो।
जात जडूला रात जगे, श्री मात सती निज दास उबारो ।
कौटिक चन्द्र प्रकाश लखावत, हो तुम नाश सुग्यान पसारो ।
को नहिं जानत है जग में, श्री राणी सतीजी नाम तिहारो ।।
दीन कई जन तार दिये, उपकार किये रूजगार निहारो ।
काज सुधार सुसरजन हार, मेरी ये पुकार पे दास उबारो ।
नैया पतवार तूही करतार, हर बार घड़ी इक तेरो सहारो ।
को नहिं जानत है जग में, श्री राणी सतीजी नाम तिहारो॥
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