क्षमा-प्रार्थना (Kshama Prarthana) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी की स्तुति और आराधना मॆं हुई गलतियों और त्रुटियों के लिये देवी माँ से क्षमा माँगने के लिये करें क्षमा-प्रार्थना का पाठ। देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के मूर्तिरहस्यम् का पाठ करने के बाद करें क्षमा-प्रार्थना का पाठ। पढ़ियें क्षमा-प्रार्थना…
Kshama Prarthana
॥ क्षमा-प्रार्थना ॥
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥2॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥3॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥4॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू॥5॥
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥6॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥7॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥8॥
॥ श्रीदुर्गार्पणमस्तु ॥
नोट: क्षमा प्रार्थना (Kshama Prarthana) के बाद श्रीदुर्गामानस-पूजा का पाठ करें।