जन्मपत्री में गुरु और शनि दोनों ग्रह विपरीत स्थिति में हो तो –
यदि आप की जन्मपत्री में गुरु और शनि ग्रह दोनों विपरीत स्थिति में है या अशुभ स्थिति में हैं। तो आप शुक्लपक्ष के पहले गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी को पीसकर अपने मस्तक पर उससे तिलक करें। इससे आपको गुरु ग्रह और शनि ग्रह के शुभ फल प्राप्त होंगे। और आप उनके दुष्प्रभाव से बच जायेंगे।
जन्मपत्री में चंद्र देव अनुकूल स्थिति में न हो तो –
यदि आप की जन्मपत्री में चंद्र देव अनुकूल स्थिति में नहीं है तो यह उपाय अवश्य करें। शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से यह उपाय प्रारंभ करें। रविवार के दिन मोती शंख में एक चांदी का सिक्का रखकर उसमें पानी भरकर रख दें। और अगले दिन सोमवार को सुबह उठते ही उस पानी को पी लें। ये उपाय करने से चंद्र देव आपके अनुकूल हो जायेंगे और आपको उनका शुभ फल प्राप्त होगा। साथ ही आपको माँ लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होगी।
यदि चंद्र देव (ग्रह) आपकी जन्मपत्री में शुभ स्थिति में नहीं तो आप हमेशा अपनी शर्ट की जेब में श्वेत गुंजा के 7 बीज रखें। इससे आप पर चंद्र देव (ग्रह) का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जन्मपत्री में मंगल ग्रह शुभ स्थिति में न हो तो –
यदि मंगल ग्रह आपकी जन्मपत्री में शुभ स्थिति में नहीं तो आप हमेशा अपनी शर्ट की जेब में लाल गुंजा के 21 बीज रखें। इससे आप पर मंगल ग्रह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जन्मपत्री में शनि ग्रह शुभ स्थिति में न हो तो –
यदि आप शनि ग्रह से पीड़ित हैं या शनि ग्रह आपको पीड़ा दे रहा है तो आप हमेशा अपनी शर्ट की जेब में काली गुंजा के 11 बीज रखें। ऐसा करने से आप शनि ग्रह की पीड़ा से मुक्त हो जायेंगे।
नवग्रह की पीड़ा से मुक्ति के लिये –
अगर कोई व्यक्ति 21 लाल गुंजा के बीजबीज, 7 श्वेत गुंजा के बीज और 11 काली गुंजा के बीजों को अपने पास रखता है तो वह नवग्रह की पीड़ा से मुक्त हो जाता है। अर्थात उस पर किसी भी ग्रह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।