Yamunashtakam Stotra – यमुनाष्टकम् स्तोत्र के नित्य पाठ के लाभ

Benefits of Yamunashtakam Stotra

Yamunashtakam Stotra (First)
यमुनाष्टकम् स्तोत्र – प्रथम

पौरणिक कथाओं के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री है और मृत्यु के देवता यमराज एवं शनि देव की बहन हैं। यमुना जी भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी भी है। यमुना स्नान से मनुष्य के पापों का नाश होता है। ब्रजक्षेत्र के लोग यमुना को यमुना मैया कहकर पुकारते है।

Benefits of Yamunashtakam Stotra
यमुनाष्टकम् स्तोत्र के लाभ

नित्य प्रतिदिन स्नान के बाद यमुनाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से

  • मनुष्य का मन और चरित्र शुद्ध हो जाता है।
  • यमुना मैया उसके सभी पापों का नाश करके उसे निर्मल और निष्पाप बना देती है।
  • यमुनाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

यमुनाष्टकम्

॥ श्री: ॥

मुरारिकायकालिमाललामवारिधारिणी
तृणीकृतत्रिविष्टपा त्रिलोकशोकहारिणी ।
मनोऽनुकूलकूलकुञ्जपुञ्जधूतदुर्मदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ १॥

मलापहारिवारिपूरिभूरिमण्डितामृता
भृशं प्रवातकप्रपञ्चनातिपण्डितानिशा ।
सुनन्दनन्दिनाङ्गसङ्गरागरञ्जिता हिता
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ २॥

लसत्तरङ्गसङ्गधूतभूतजातपातका
नवीनमाधुरीधुरीणभक्तिजातचातका ।
तटान्तवासदासहंससंसृताह्निकामदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ३॥

विहाररासस्वेदभेदधीरतीरमारुता
गता गिरामगोचरे यदीयनीरचारुता ।
प्रवाहसाहचर्यपूतमेदिनीनदीनदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ४॥

तरङ्गसङ्गसैकतान्तरातितं सदासिता
शरन्निशाकरांशुमञ्जुमञ्जरी सभाजिता ।
भवार्चनाप्रचारुणाम्बुनाधुना विशारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ५॥

जलान्तकेलिकारिचारुराधिकाङ्गरागिणी
स्वभर्तुरन्यदुर्लभाङ्गताङ्गतांशभागिनी ।
स्वदत्तसुप्तसप्तसिन्धुभेदिनातिकोविदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ६॥

जलच्युताच्युताङ्गरागलम्पटालिशालिनी
विलोलराधिकाकचान्तचम्पकालिमालिनी ।
सदावगाहनावतीर्णभर्तृभृत्यनारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ७॥

सदैव नन्दिनन्दकेलिशालिकुञ्जमञ्जुला
तटोत्थफुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसूज्ज्वला ।
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ ८॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य
श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ यमुनाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥