Panchayudha Stotram: हर स्थान पर हर विपत्ति से रक्षा करता है पञ्चायुध स्तोत्रम्

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पञ्चायुध स्तोत्रम (Panchayudha Stotram) में भगवान श्री हरि विष्णु के पाँच आयुधों की स्तुति की गई है। इस स्तोत्र के द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति करने से जातक का कल्याण होता है और वो हर स्थान पर सुरक्षित रहता है। पढ़ियें विष्णु पञ्चायुध स्तोत्रम् (Vishnu Panchayudha Stotram) और साथ ही जानियें इस स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें साथ ही इसके नियमित पाठ करने से क्या लाभ होता है?

Which Are The Panchayudha?
भगवान विष्णु के पञ्चायुध कौन से है?

इस पञ्चायुध स्तोत्रम् (Panchayudha Stotram) में भगवान विष्णु के पाँच आयुधों (Five Divine Weapons of Lord Vishnu) अर्थात हथियारों की स्तुति की गई है। वह इस प्रकार है –

  • सुदर्शन चक्र (Sudarshana Chakra: Discus)
  • पाञ्चजन्य शंख (Panchajanya Shankh – Conch)
  • कौमोदकी गदा (Kaumodaki Gada – Mace)
  • नंदक खड्ग – Nandaka Khadga – Sword
  • सारंगा धनुष – (Saranga Dhanush – Bow)

भगवान विष्णु के जिन पाँच आयुधों (Five Divine Weapons of Lord Vishnu) का उल्लेख इस पञ्चायुध स्तोत्रम् (Panchayudha Stotram) में किया गया है वो कैसे है?, उनका स्वरूप कैसा है? और उनकी क्या विशेषता है? यह सब जानने के लिये यहाँ क्लिक करें…

When and How To Recite The Panchayudha Stotram?
कब और कैसे करें पञ्चायुध स्त्रोतम् का पाठ?

  • प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • फिर शुद्ध चित्त के साथ पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सम्मुख बैठकर भगवान का ध्यान करें।
  • धूप-दीप जलायें।
  • फिर पञ्चायुध स्तोत्रम् (Panchayudha Stotram) का पाठ करें।
  • पाठ पूरा करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु से अपनी त्रुटियों के लिये क्षमा माँगें। और फिर उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें।

Benefits of Reciting Panchayudha Stotram
पञ्चायुध स्तोत्रम का पाठ करने का लाभ

इस शुभ और प्रभावशाली पञ्चायुध स्तोत्रम् (Panchayudha Stotram) का नित्य प्रतिदिन विधि अनुसार पाठ करने से

  • साधक के समस्त कष्ट और भय का नाश होता है।
  • मनुष्य अपने पापों से छूटकर पापमुक्त हो जाता है।
  • जीवन में सुख – शांति आती है।
  • धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
  • साधक हर प्रकार से संकटों से सुरक्षित होता है।
  • विपत्तियाँ दूर होती है।
  • दुख-दरिद्रता का नाश होता है।
  • नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा होता है।
  • शत्रु उसे कोई हानि नही पहुँचा सकता।

Panchayudha Stotram Lyrics

|| पंचायुध स्तोत्र ||

स्फुरत्सहस्रारशिखातितीव्रं
सुदर्शनं भास्करकोटितुल्यम् ।
सुरद्विषां प्राणविनाशि विष्णोः
चक्रं सदाहं शरणं प्रपद्ये ॥ १ ॥

विष्णोर्मुखोत्थानिलपूरितस्य
यस्य ध्वनिर्दानवदर्पहन्ता ।
तं पाञ्चजन्यं शशिकोटिशुभ्रं
शङ्खं सदाहं शरणं प्रपद्ये ॥ २ ॥

हिरण्मयीं मेरुसमानसारां
कौमोदकीं दैत्यकुलैकहन्त्रीम् ।
वैकुण्ठवामाग्रकराग्रमृष्टां
गदां सदाहं शरणं प्रपद्ये ॥ ३ ॥

यज्ज्यानिनादश्रवणात्सुराणां
चेतांसि निर्मुक्तभयानि सद्यः ।
भवन्ति दैत्याशनिबाणवर्षैः
शार्ङ्गं सदाहं शरणं प्रपद्ये ॥ ४ ॥

रक्षोऽसुराणां कठिनोग्रकण्ठ-
-च्छेदक्षरत्‍क्षोणित दिग्धसारम् ।
तं नन्दकं नाम हरेः प्रदीप्तं
खड्गं सदाहं शरणं प्रपद्ये ॥ ५ ॥

इमं हरेः पञ्चमहायुधानां
स्तवं पठेद्योऽनुदिनं प्रभाते ।
समस्त दुःखानि भयानि सद्यः
पापानि नश्यन्ति सुखानि सन्ति ॥ ६ ॥

वने रणे शत्रु जलाग्निमध्ये
यदृच्छयापत्सु महाभयेषु ।
पठेत्विदं स्तोत्रमनाकुलात्मा
सुखीभवेत्तत्कृत सर्वरक्षः ॥ ७ ॥

यच्चक्रशङ्खं गदखड्गशार्ङ्गिणं
पीताम्बरं कौस्तुभवत्सलाञ्छितम् ।
श्रियासमेतोज्ज्वलशोभिताङ्गं
विष्णुं सदाऽहं शरणं प्रपद्ये ॥

जले रक्षतु वाराहः स्थले रक्षतु वामनः ।
अटव्यां नारसिंहश्क्ष्च सर्वतः पातु केशवः ॥

॥ इति पंचायुध स्तोत्रम् ॥

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