विष्णुतीर्थ जी द्वारा रचित कृष्णाष्टकम् भगवान (Krishnashtakam By Vishnutirtha) श्री कृष्ण का बहुत प्रसिद्ध अष्टकम पाठ माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण से संबंधित व्रत-त्योहार जैसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी आदि पर इस लोकप्रिय अष्टकम का पाठ करने से बहुत ही शुभफलों की प्राप्ति होती है। इसका नियमित रूप से पाठ करने से जातक के जीवन में सब कुछ शुभ ही होता है। पढ़ियें विष्णुतीर्थ रचित श्री कृष्णाष्टकम् – श्री वासुदेव मधुसूदन कैटभारे…
Krishnashtakam By Vishnutirtha Lyrics
श्री विष्णुतीर्थविरचितं श्रीकृष्णाष्टकम्
श्री वासुदेव मधुसूदन कैटभारे
लक्षीश पक्षिवर वाहन वामनेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ १॥
गोविन्द गोकुलपते नवनीत चोर
श्री नन्दनन्दन मुकुन्द दयापरेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ २॥
नाराणाखिल गुणार्णव वेद
पारायण प्रिय गजाधिप मोचकेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ३॥
आनन्द सच्चिदाखिलात्मक भक्त वर्ग
स्वानन्द दान चतुरागम सन्नुतेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ४॥
श्री प्राणतोऽधिक सुख्यातक रूप देव
प्रोद्यद्दिवाकर निभाच्युत सद्गुणेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ५॥
विश्वान्धकारि मुख दैवत वन्द्य शाश्वत्
विश्वोद्भवस्थितिमृति प्रभृति प्रदेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ६॥
नित्तैक रूप दश रूप सहस्र लक्षा
नन्त रूप शत रूप विरूपकेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ७॥
सर्वेश सर्वगत सर्व शुभानुरूप
सर्वान्तरात्मक सदोदित सत्प्रियेति ।
श्रीकृष्ण मन्मरण उपागते तु
त्वन्नाम मद्वचन गोचरतामुपैतु ॥ ८॥
। इति श्रीविष्णुतीर्थविरचितं श्रीकृष्णाष्टकं सम्पूर्णम् ।