जानियें कब किया जाता है अरण्य सूक्तम् (Aranya Suktam) का पाठ?

Aranya Suktam; Aranya Sukt;

वनों का महत्व बताया गया है ऋग्वेद के इस अरण्य सूक्तम् (Aranya Suktam) में। यह सूक्तम वन देवता को समर्पित है, इसमें वनों की सुन्दरता और मनुष्यों के जीवन में वनों के महत्व को बताया गया है। “अरण्य” शब्द का अर्थ होता है वन। वनों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। हमें इनका ख्याल रखना चाहियें। अरण्य सूक्तम् (Aranya Suktam) का पाठ अरण्य षष्ठी के दिन अवश्य करना चाहिये। अरण्य षष्ठी वन देवता को समर्पित है।

Aranya suktam
अरण्य सूक्तम्

॥ अथ श्री अरण्य सूक्तम् ॥

अरण्या॒न्यरण्यान्यसौ या प्रेव नश्यसि ।
कथा ग्रामं न पृच्छसि न त्वा भीरि॑व विन्दतीं ॥
वृषारवाय वदते यदु॒पावति चिच्चकः ।
आघाटिभिरिव धावयन्नरण्यानिर्महीयते ॥
उत गाव इवादन्त्युत वेश्मेव दृश्यते ।
उतो अरण्यानः सायं शकटीरिव सर्जति ॥
गामंगैष आ ह्वयति दार्वगैषो अपावधीत् ।
वसन्नरण्यान्या सायमनुक्षदिति मन्यते ॥
न वा अरण्यानिर्हन्त्यन्यश्चेन्नाभिगच्छ॑ति ।
स्वादोः फलस्य जग्ध्वाय यथाकामं नि पदद्यते ॥
आञ्जनगन्धं सुरभं बवन्नामकृषीवलाम् ।
प्राहं मृगाणा मातरमरण्यानिमशंसिषम् ॥

।।इति श्री अरण्य सूक्तम् ।।