श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् (Sri Rama Apaduddharaka Stotram) समस्त विपत्तियों और आपदाओं को हरने वाला अत्यंत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। प्रभु श्री राम के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली स्तोत्रों में से एक है। इस स्तोत्रम् में भगवान श्री राम के अद्वितीय गुण है, रूप-सौन्दर्य और उनकी लीलाओं का उत्कृष्टता से वर्णन किया गया है। इस स्तोत्रम् का नित्य पाठ करने से साधक की समस्त विपत्तियों का नाश होता है, धन-सम्पदा, आरोग्य, रूप-सौंदर्य, विरोधियों पर विजय, और मोक्ष के प्राप्ति होती है। पढ़ियें श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् (Sri Rama Apaduddharaka Stotram) और साथ ही जानियें इसके पाठ की विधि और लाभ…
Benefits Of Reciting Sri Rama Apaduddharaka Stotram
श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् के लाभ
नियमित रूप से पूर्ण श्रद्धा-भक्ति और विश्वास के साथ श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् (Sri Rama Apaduddharaka Stotram) का पाठ करने से
- साधक की सभी आपदायें समाप्त हो जाती है।
- मन में शान्ति आती है।
- रोग-दोष समाप्त होते है।
- समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- बन्दी बन्धन से मुक्त हो जाता है।
- विघ्न-बाधायें समाप्त हो जाती है।
- अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
- मनुष्य जो प्राप्त करना चाहता है उसे वो प्राप्त होता है। साधक की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है।
- साधक इस लोक में समस्त सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। वो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। उसे प्रभु श्री राम का सानिध्य प्राप्त होता है।
When & How To Recite Sri Rama Stotram
श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करें?
श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् (Sri Rama Apaduddharaka Stotram) का पाठ प्रात:काल या प्रदोष काल में कभी भी किया जा सकता है।
- स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- प्रभु श्री राम और देवी सीता की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख दीपक जलायें।
- स्वच्छ मन से प्रभु श्री राम का ध्यान करें। फिर पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ एकाग्रचित्त होकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
- फिर भगवान श्री राम से अपनी गलतियों के लिये क्षमा मांगे और तत्पश्चात उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें। प्रभु श्री राम आपकी सभी परेशानियों को हर लेंगे ऐसा मन में विश्वास रखें।
Sri Rama Apaduddharaka Stotram Lyrics
॥ श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् ॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥
नमः कोदण्डहस्ताय सन्धीकृतशराय च ।
दण्डिताखिलदैत्याय रामायापन्निवारिणे ॥ १ ॥
आपन्नजनरक्षैकदीक्षायामिततेजसे ।
नमोऽस्तु विष्णवे तुभ्यं रामायापन्निवारिणे ॥ २ ॥
पदाम्भोजरजस्पर्शपवित्रमुनियोषिते ।
नमोऽस्तु सीतापतये रामायापन्निवारिणे ॥ ३ ॥
दानवेन्द्रमहामत्तगजपञ्चास्यरूपिणे ।
नमोऽस्तु रघुनाथाय रामायापन्निवारिणे ॥ ४ ॥
महिजाकुचसंलग्नकुङ्कुमारुणवक्षसे ।
नमः कल्याणरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ५ ॥
पद्मसम्भव भूतेश मुनिसंस्तुतकीर्तये ।
नमो मार्ताण्डवम्श्याय रामायापन्निवारिणे ॥ ६ ॥
हरत्यार्तिं च लोकानां यो वा मधुनिषूदनः ।
नमोऽस्तु हरये तुभ्यं रामायापन्निवारिणे ॥ ७ ॥
तापकारणसंसारगजसिंहस्वरूपिणे ।
नमो वेदान्तवेद्याय रामायापन्निवारिणे ॥ ८ ॥
रङ्गत्तरङ्गजलधि गर्वहच्छरधारिणे ।
नमः प्रतापरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ९ ॥
दारोसहित चन्द्रावतंस ध्यातस्वमूर्तये ।
नमः सत्यस्वरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ १० ॥
तारानायकसङ्काशवदनाय महौजसे ।
नमोऽस्तु ताटकाहन्त्रे रामायापन्निवारिणे ॥ ११ ॥
रम्यसानुलसच्चित्रकूटाश्रमविहारिणे ।
नमस्सौमित्रिसेव्याय रामायापन्निवारिणे ॥ १२ ॥
सर्वदेवाहितासक्त दशाननविनाशिने ।
नमोऽस्तु दुःखध्वंसाय रामायापन्निवारिणे ॥ १३ ॥
रत्नसानुनिवासैक वन्द्यपादाम्बुजाय च ।
नमस्त्रैलोक्यनाथाय रामायापन्निवारिणे ॥ १४ ॥
संसारबन्धमोक्षैकहेतुदामप्रकाशिने ।
नमः कलुषसंहर्त्रे रामायापन्निवारिणे ॥ १५ ॥
पवनाशुग सङ्क्षिप्त मारीचादिसुरारये ।
नमो मखपरित्रात्रे रामायापन्निवारिणे ॥ १६ ॥
दाम्भिकेतरभक्तौघमहानन्दप्रदायिने ।
नमः कमलनेत्राय रामायापन्निवारिणे ॥ १७ ॥
लोकत्रयोद्वेगकर कुम्भकर्णशिरश्छिदे ।
नमो नीरददेहाय रामायापन्निवारिणे ॥ १८ ॥
काकासुरैकनयनहरल्लीलास्त्रधारिणे ।
नमो भक्तैकवेद्याय रामायापन्निवारिणे ॥ १९ ॥
भिक्षुरूपसमाक्रान्तबलिसर्वैकसम्पदे ।
नमो वामनरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ २० ॥
राजीवनेत्रसुस्पन्द रुचिराङ्गसुरोचिषे ।
नमः कैवल्यनिधये रामायापन्निवारिणे ॥ २१ ॥
मन्दमारुतसंवीतमन्दारद्रुमवासिने ।
नमः पल्लवपादाय रामायापन्निवारिणे ॥ २२ ॥
श्रीकण्ठचापदलनधुरीणबलबाहवे ।
नमः सीतानुषक्ताय रामायापन्निवारिणे ॥ २३ ॥
राजराजसुहृद्योषार्चित मङ्गलमूर्तये ।
नम इक्ष्वाकुवम्श्याय रामायापन्निवारिणे ॥ २४ ॥
मञ्जुलादर्शविप्रेक्षणोत्सुकैकविलासिने ।
नमः पालितभक्ताय रामायापन्निवारिणे ॥ २५ ॥
भूरिभूधर कोदण्डमूर्ति ध्येयस्वरूपिणे ।
नमोऽस्तु तेजोनिधये रामायापन्निवारिणे ॥ २६ ॥
योगीन्द्रहृत्सरोजातमधुपाय महात्मने ।
नमो राजाधिराजाय रामायापन्निवारिणे ॥ २७ ॥
भूवराहस्वरूपाय नमो भूरिप्रदायिने ।
नमो हिरण्यगर्भाय रामायापन्निवारिणे ॥ २८ ॥
योषाञ्जलिविनिर्मुक्त लाजाञ्चितवपुष्मते ।
नमस्सौन्दर्यनिधये रामायापन्निवारिणे ॥ २९ ॥
नखकोटिविनिर्भिन्नदैत्याधिपतिवक्षसे ।
नमो नृसिंहरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ३० ॥
मायामानुषदेहाय वेदोद्धरणहेतवे ।
नमोऽस्तु मत्स्यरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ३१ ॥
मितिशून्य महादिव्यमहिम्ने मानितात्मने ।
नमो ब्रह्मस्वरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ३२ ॥
अहङ्कारीतरजन स्वान्तसौधविहारिणे ।
नमोऽस्तु चित्स्वरूपाय रामायापन्निवारिणे ॥ ३३ ॥
सीतालक्ष्मणसम्शोभिपार्श्वाय परमात्मने ।
नमः पट्टाभिषिक्ताय रामायापन्निवारिणे ॥ ३४ ॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ ३५ ॥
फलश्रुति ।
इमं स्तवं भगवतः पठेद्यः प्रीतमानसः ।
प्रभाते वा प्रदोषे वा रामस्य परमात्मनः ॥ १ ॥
स तु तीर्त्वा भवाम्बोधिमापदस्सकलानपि ।
रामसायुज्यमाप्नोति देवदेवप्रसादतः ॥ २ ॥
कारागृहादिबाधासु सम्प्राप्ते बहुसङ्कटे ।
आपन्निवारकस्तोत्रम् पठेद्यस्तु यथाविधिः ॥ ३ ॥
सम्योज्यानुष्टुभं मन्त्रमनुश्लोकं स्मरन्विभुम् ।
सप्ताहात्सर्वबाधाभ्यो मुच्यते नात्र सम्शयः ॥ ४ ॥
द्वात्रिम्शद्वारजपतः प्रत्यहं तु दृढव्रतः ।
वैशाखे भानुमालोक्य प्रत्यहं शतसङ्ख्यया ॥ ५ ॥
धनवान् धनदप्रख्यस्स भवेन्नात्र सम्शयः ।
बहुनात्र किमुक्तेन यं यं कामयते नरः ॥ ६ ॥
तं तं काममवाप्नोति स्तोत्रेणानेन मानवः ।
यन्त्रपूजाविधानेन जपहोमादितर्पणैः ॥ ७ ॥
यस्तु कुर्वीत सहसा सर्वान्कामानवाप्नुयात् ।
इह लोके सुखी भूत्वा परे मुक्तो भविष्यति ॥ ८ ॥
पढ़ियें श्री राम सहस्रनाम (Rama Sahasranama) स्तोत्रम् और साथ ही जानियें इसके पाठ की विधि और लाभ…
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