Matsyashtottarashatanamavalih – पढ़ियें भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के 108 नाम

Matsyashtottarashatanamavalih

भगवान विष्णु का मत्स्य रूप अपने भक्तों को उनके जीवन की समस्त समस्याओं, दुखों, पापों और कष्टों से निकालने वाला है। जानियें श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का नित्य पाठ करने का महत्व…

Significance Of Reciting Shri Matsyashtottarashatanamavalih
श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का महत्व

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के 108 नामों का नित्य पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। उनकी कृपा से उपासक को बहुत शुभ परिणाम प्राप्त होते है। श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का नित्य पाठ करने से

  • उपासक निरोगी होता है।
  • धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा होती है।
  • उपासक अपने सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
  • जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  • कार्यों मे आने वाली कठिनाई और बाधायें दूर होती है।
  • सादक दीर्धायु होता है।
  • कार्य क्षेत्र में प्रगति होती है।
  • शत्रु पराजित होता है।
  • जीवन में शान्ति और सद्भाव आता है।
  • ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साधक को सशक्त बनाता है।
  • विपत्तियों से रक्षा होती है।
  • पूर्वजन्म के पाप और श्राप से मुक्ति मिलती है।

How and When To Recite Shri Matsyashtottarashatanamavalih ?
श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का पाठ कब और कैसे करें?

  • प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पूजास्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाये।
  • भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के चित्र या प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाकर, रोली-चावल-पुष्पादि चढ़ाकर पूजा करें।
  • फिर शुद्ध मन और पूर्ण श्रद्ध-भक्ति के साथ श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का पाठ करें।
  • पाठ समाप्त करने के बाद अपनी गलतियों के लिये क्षमा याचना करें। और अपने समस्या जिसका निवारण आप चाहते है या मनोरथ ईश्वर से निवेदन करें।

Makaradi Shri Matsyashtottarashatanamavalih
मकारादि श्री मत्स्याष्टोत्तरशतनामावलिः

ॐ मत्स्याय नमः । 1 ।
ॐ महालयाम्बोधि संचारिणे नमः । 2 ।
ॐ मनुपालकाय नमः । 3 ।
ॐ महीनौकापृष्ठदेशाय नमः । 4 ।
ॐ महासुरविनाशनाय नमः । 5 ।
ॐ महाम्नायगणाहर्त्रे नमः । 6 ।
ॐ महनीयगुणाद्भुताय नमः । 7 ।
ॐ मरालवाहव्यसनच्छेत्रे नमः । 8 ।
ॐ मथितसागराय नमः । 9 ।
ॐ महासत्वाय नमः । 10 ।
ॐ महायादोगणभुजे नमः । 11 ।
ॐ मधुराकृतये नमः । 12 ।
ॐ मन्दोल्लुंठनसङ्क्षुब्धसिन्धु भङ्गहतोर्ध्वखाय नमः । 13 ।
ॐ महाशयाय नमः । 14 ।
ॐ महाधीराय नमः । 15 ।
ॐ महौषधिसमुद्धराय नमः । 16 ।
ॐ महायशसे नमः । 17 ।
ॐ महानन्दाय नमः । 18 ।
ॐ महातेजसे नमः । 19 ।
ॐ महावपुषे नमः । 20 ।
ॐ महीपङ्कपृषत्पृष्ठाय नमः । 21 ।
ॐ महाकल्पार्णवह्रदाय नमः । 22 ।
ॐ मित्रशुभ्रांशुवलय नेत्राय नमः । 23 ।
ॐ मुखमहानभसे नमः । 24 ।
ॐ महालक्ष्मीनेत्ररूप गर्व सर्वङ्कषाकृतये नमः । 25 ।
ॐ महामायाय नमः । 26 ।
ॐ महाभूतपालकाय नमः । 27 ।
ॐ मृत्युमारकाय नमः । 28 ।
ॐ महाजवाय नमः । 29 ।
ॐ महापृच्छच्छिन्न मीनादि राशिकाय नमः । 30 ।
ॐ महातलतलाय नमः । 31 ।
ॐ मर्त्यलोकगर्भाय नमः । 32 ।
ॐ मरुत्पतये नमः । 33 ।
ॐ मरुत्पतिस्थानपृष्ठाय नमः । 34 ।
ॐ महादेवसभाजिताय नमः । 35 ।
ॐ महेन्द्राद्यखिल प्राणि मारणाय नमः । 36 ।
ॐ मृदिताखिलाय नमः । 37 ।
ॐ मनोमयाय नमः । 38 ।
ॐ माननीयाय नमः । 39 ।
ॐ मनस्स्विने नमः । 40 ।
ॐ मानवर्धनाय नमः । 41 ।
ॐ मनीषिमानसाम्भोधि शायिने नमः । 42 ।
ॐ मनुविभीषणाय नमः । 43 ।
ॐ मृदुगर्भाय नमः । 44 ।
ॐ मृगाङ्काभाय नमः । 45 ।
ॐ मृग्यपादाय नमः । 46 ।
ॐ महोदराय नमः । 47 ।
ॐ महाकर्तरिकापुच्छाय नमः । 48 ।
ॐ मनोदुर्गमवैभवाय नमः । 49 ।
ॐ मनीषिणे नमः । 50 ।
ॐ मध्यरहिताय नमः । 51 ।
ॐ मृषाजन्मने नमः । 52 ।
ॐ मृतव्ययाय नमः । 53 ।
ॐ मोघेतरोरु सङ्कल्पाय नमः । 54 ।
ॐ मोक्षदायिने नमः । 55 ।
ॐ महागुरवे नमः । 56 ।
ॐ मोहासङ्गसमुज्जृम्भत्सच्चिदानन्द विग्रहाय नमः । 57 ।
ॐ मोहकाय नमः । 58 ।
ॐ मोहसंहर्त्रे नमः । 59 ।
ॐ मोहदूराय नमः । 60 ।
ॐ महोदयाय नमः । 61 ।
ॐ मोहितोत्तोरितमनवे नमः । 62 ।
ॐ मोचिताश्रितकश्मलाय नमः । 63 ।
ॐ महर्षिनिकरस्तुत्याय नमः । 64 ।
ॐ मनुज्ञानोपदेशिकाय नमः । 65 ।
ॐ महीनौबन्धनाहीन्द्ररज्जु बद्धैकशृङ्गकाय नमः । 66 ।
ॐ महावातहतोर्वीनौस्तम्भनाय नमः । 67 ।
ॐ महिमाकराय नमः । 68 ।
ॐ महाम्बुधितरङ्गाप्तसैकती भूत विग्रहाय नमः । 69 ।
ॐ मरालवाहनिद्रान्त साक्षिणे नमः । 70 ।
ॐ मधुनिषूदनाय नमः । 71 ।
ॐ महाब्धिवसनाय नमः । 72 ।
ॐ मत्ताय नमः । 73 ।
ॐ महामारुतवीजिताय नमः । 74 ।
ॐ महाकाशालयाय नमः । 75 ।
ॐ मूर्छत्तमोम्बुधिकृताप्लवाय नमः । 76 ।
ॐ मृदिताब्दारिविभवाय नमः । 77 ।
ॐ मुषितप्राणिचेतनाय नमः । 78 ।
ॐ मृदुचित्ताय नमः । 79 ।
ॐ मधुरवाचे नमः । 80 ।
ॐ मृष्टकामाय नमः । 81 ।
ॐ महेश्वराय नमः । 82 ।
ॐ मरालवाहस्वापान्त दत्तवेदाय नमः । 83 ।
ॐ महाकृतये नमः । 84 ।
ॐ महीश्लिष्टाय नमः । 85 ।
ॐ महीनाधाय नमः । 86 ।
ॐ मरुन्मालामहामणये नमः । 87 ।
ॐ महीभारपरीहर्त्रे नमः । 88 ।
ॐ महाशक्तये नमः । 89 ।
ॐ महोदयाय नमः । 90 ।
ॐ महन्महते नमः । 91 ।
ॐ मग्नलोकाय नमः । 92 ।
ॐ महाशान्तये नमः । 93 ।
ॐ महन्महसे नमः । 94 ।
ॐ महावेदाब्धिसंचारिणे नमः । 95 ।
ॐ महात्मने नमः । 96 ।
ॐ मोहितात्मभुवे नमः । 97 ।
ॐ मन्त्रस्मृतिभ्रंशहेतवे नमः । 98 ।
ॐ मन्त्रकृते नमः । 99 ।
ॐ मन्त्रशेवधये नमः । 100 ।
ॐ मन्त्रमन्त्रार्थ तत्त्वज्ञाय नमः । 101 ।
ॐ मन्त्रार्थाय नमः । 102 ।
ॐ मन्त्रदैवताय नमः । 103 ।
ॐ मन्त्रोक्तकारिप्रणयिने नमः । 104 ।
ॐ मन्त्रराशिफलप्रदाय नमः । 105 ।
ॐ मन्त्रतात्पर्यविषयाय नमः । 106 ।
ॐ मनोमन्त्राद्यगोचराय नमः । 107 ।
ॐ मन्त्रार्थवित्कृतक्षेमाय नमः । 108 ।

॥ इति मकारादि श्री मत्स्यावताराष्टोत्तरशतनामावलिः ॥