बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् एक दिव्य कवच स्तोत्र है। इस कवच से रक्षित जातक का कोई भी अहित नही कर सकता। इस प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ सभी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला और हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला है। पढ़ियें बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् (Bagla Pratyangira Kavach) का पाठ करने की विधि और लाभ…
Baglamukhi Pratyangira Kavach Ki Vidhi
बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ कैसे करें?
इस कवच स्तोत्र का पाठ केवल वही साधक कर सकते है जो बगलामुखी से दीक्षित हो। गुरू आज्ञा के बिना इस कवच का पाठ ना करें। इस कवच का नित्य पाठ करने से माँ बगलामुखी की कृपा से साधक के सभी शत्रुओं का विनाश हो जाता है। इस कवच का पाठ अपने गुरू की आज्ञा अनुसार करें। वैसे माँ बगलामुखी की उपासना रात्रि में किये जाने का विधान है।
- संध्या:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ बगलामुखी की उपासना के लिये शरीर और मन दोनों स्वच्छ होना आवश्यक है।
- शास्त्रों के अनुसार बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ गुरू की आज्ञा अनुसार या बगलामुखी से दीक्षित साधक द्वारा ही किया जाना चाहिये।
- सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय पूजास्थान पर पीले आसन पर पीले वस्त्र धारण करके बैठ कर सरसों के तेल का दीपक जलाकर अपने गुरू, भगवान गणेश और भगवान भैरव का ध्यान करके माता बगलामुखी का ध्यान करें।
- माता को हल्दी, पीले पुष्प, पीले फल और पीली मिठाई का भोग अर्पित करें।
- बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ करें।
- पाठ करने के बाद रूद्राक्ष की माला पर 108 बार इस मंत्र का जाप करें। मंत्र – “ हौं जूं स: “
- इसके पश्चात माता बगलामुखी की आरती करें और उनसे अपनी गलतियों के लिये क्षमा माँगें और देवी से अपनी मनोकामना कहें।
Benefits of Reading Baglamukhi Pratyangira Kavach
बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ करने के लाभ
माता बगला अपने भक्तों पर विशेष अनुराग रखती है। जो भी पवित्र मन से उनकी उपासना पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ करता है उसे माँ का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का विधि अनुसार नित्य पाठ करने से
- जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है।
- शत्रु का नाशहोता है और शत्रु का भय समाप्त हो जाता है।
- साधक अपने विरोधियों के लिये सदा ही अजेय बना रहता है।
- माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ण होती है।
- संकटों का निवारण होता है।
- सफलतापूर्वक कार्य सिद्ध होते है।
- जीवन और विचारों में सकारात्मकता आती है और नकारात्मकता दूर होती है।नकारात्मक ऊर्जा से साधक सुरक्षित रहता है।
- यदि किसी ने कोई अभिचारक प्रयोग अर्थात तंत्र इत्यादि किया हो तो उसका प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। इस कवच के प्रभाव से बड़े से बड़ा तंत्र भी निष्फल हो जाता है।
- धन – समृद्धि मे वृद्धि होती है।
- व्यापार और नौकरी के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- शरीर निरोगी होता है और साधक दीर्धायु होता है।
- अकाल मृत्यु का भय नही रहता।
- कानूनी एवं अदालती मामलों में जीत होती है।
Bagla Pratyangira Kavach Lyrics
श्री बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम्
विनियोग :
अस्य श्री बगला प्रत्यङ्गिरा मन्त्रस्य नारद ऋषिः । त्रिष्टुप्च्छन्दः । प्रत्यङ्गिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः । ह्रीं कीलकं । ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं प्रत्यङ्गिरा मम सकल शत्रुविनाशे विनियोगः ।
मन्त्र :
ॐ प्रत्यङ्गिरायै नमः प्रत्यङ्गिरे सकलकामान् साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान् शत्रून् खादय खादय मारय मारय घातय घातय ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।
ध्यानम् :
ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणो मोहिनी तथा ।
सम्हारिणी द्राविणी च जृम्भिणी रौद्ररूपिणी ।।
इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजिताः ।
धारयेत् कण्ठ देशे च सर्वशत्रु विनाशिनी ।।
कवचारम्भम् :
ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्वशूत्रन् भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून् स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून् क्षोभय क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून् मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं संहारिणी मम शत्रून् संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं द्राविणी मम शत्रून् द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं जृम्भिणी मम शत्रून् जृम्भय जृम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं रौद्रीं मम शत्रून् सन्तापय सन्तापय ॐ ह्रीं स्वाहा।
। इति श्री रुद्रयामले शिवपार्वती सम्वादे बगला प्रत्यङ्गिरा कवचम् समाप्तं ।